वास्तु के अनुसार होगा भवन का मुख्यद्वार तो नहीं रहेगी पैसों की कमी
भवन का मुख्य द्वार हमारी पारिवारिक स्थिति को दर्शा सकता है। यूं तो लोग अधिकांशतया अपनी सुविधा के अनुसार अपने घर का मुख्य द्वार बनाते हैं। लेकिन हमारे ऋषि-महर्षियों और नारद (नारद स्मृति) वशिष्ठ (वशिष्ठ स्मृति) व मनु (मनु स्मृति) आदि के बताए नियमों के अनुसार हम मुख्य द्वार बनवाएं तो हम वास्तु व ज्योतिष से जुड़े कई दोष और समस्याएं दूर कर सकते हैं।....
बेटी के विवाह में आ रही हो परेशानी तो करें ये उपाय, 15 दिन में मिलेगा मनचाहा वर
ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं। कुंडली में विवाह का विचार मुख्यत: सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली मे कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं। ....
आपका नासिका स्वर बता सकता है कि कैसा रहेगा आपका दिन ?
धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष के अनुसार किसी भी शुभ या मांगलिक काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ऐसे में अगर नासिका स्वर पर ध्यान दें तो सुखद परिणाम आ सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर में दो स्वर होते हैं, जिन्हें चंद्र स्वर व सूर्य स्वर कहा जाता है। नाक के दाहिने छिद्र से चलने वाले स्वर को सूर्य स्वर कहते हैं। यह साक्षात शिव का प्रतीक है। जबकि बाएं छिद्र से चलने वाले स्वर को चंद्र स्वर कहते हैं। बाएं स्वर से सांस लेने को इडा और दाहिने से लेने पर उसे पिंगला कहते हैं और दोनों छिद्रों से चलने वाले श्वास को सुषुम्ना स्वर कहते हैं। स्वारोदय यानी स्वर के उदयादि से स्वर पहचान कर शुभाशुभ जानकर कार्य प्रारंभ करना, निश्चित सफलता का सूचक है। यात्रा, राजकीय कार्य, सेवा चाकरी, परीक्षा, साक्षात्कार व विवाह आदि मांगलिक कार्यों में इसकी महत्ता सर्वोपरि है। ....
आपकी जन्मकुंडली में राजयोग हो सकता है, देखें जरूर
विद्वान लोग कहते हैं कि हर जातक की कुंडली में राजयोग होता है लेकिन कुछ जातक उसे पहचानकर मेहनत करने लगते हैं और कुछ उसकी उपेक्षा कर उम्र भर कोसते रहते हैं। ज्यो तिषी कहते हैं कि प्रत्येरक कुंडली में कुछ ऐसे योग भी होते हैं जो उसे औरों से श्रेष्ठ बनाते हैं, जातक को विशेष बनाते हैं। इनमें से कुछ योगों को पहचानने से ही सफलता मिल सकती है। आइए जानें ऐसे ही कुछ चमत्कारी योगों के बारे में-....
तन-मन को प्रसन्न रखने के लिए चंद्र देव को रिझाएं, कृपा मिली तो हो जाएंगे निहाल
चंद्रमा को सुधाकर, सोम, कुमुदप्रिय, कलानिधि के नाम से भी जाना जाता हैं। सत्व गुण प्रधान व मन का स्वामी, या कारक चंद्रमा की भूमिका व्यक्ति के जीवन अहम भूमिका निभाती हैं। जातक के जन्म से ही उसकी जन्म कुंण्डली में कालपुरूष के स्थान निर्धारित हो जाते हैं। आत्मा रवि:शीतकरस्तु चेत: सूर्य आत्मा का व चन्द्र मन का कारक कहा गया हैं।
अक्सर देखा गया है की ऐसे व्यक्तियो की चंचलता कभी-कभी आनन्द प्रिय तो कभी अप्रिय लगने लगती हैं। इसका वास्तविक कारण ही चंद्र से ही होता हैं। ऐसे में इनके लिए ये बेहद जरूरी होता है की ऑफिस,परिवार,आस-पड़ोस आदि कई व्यक्तियों से थोडा संभलकर बात करे। इनकी बाते कभी कभी अखर ही जाती हैं। क्योकि ये बातो-बातो में ही बहुत कुछ खरा-खोटा कह देते हैं।
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20 साल बाद आई है शनिवार को अमावास, इन चमत्कारी उपायों से संवरेगी किस्मत
शनिवार के दिन अमावस्या का पड़ना कई कारणों से काफी मायने रखती हैं। शनि ग्रह को सीमा ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार जहां पर सूर्य का प्रभाव खत्म हो जाता है वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार अब से पहले यह योग साल 2007 में बना था और अब फिर 10 साल बाद आया है। गौरतलब है कि इसके बाद 20 सालों में यह योग 2037 में बनने की सम्भावना है। सभी जातकों को बिना मौका गवाएं इस शनि अमावस्या पर बाबा भैरव के साथ ही शनि देव की पूजा-पाठ पूरे विधि-विधान से करना चाहिए। इस अवसर पर दान देने से शनि की दशा सही होने लगती है और आपकी सोई हुइ किस्मत भी संवरने लगती है।....
आज अमावस से शुरू हुए गुप्त नवरात्र, इन चमत्कारिक मंत्रों के जाप से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
आज से शुरू हुए नवरात्र 2 जुलाई तक चलेंगे। नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इसमें विशेषकर तांत्रिक साधना, शक्ति साधना, महाकाल आदि की पूजा का महत्व होता है। इसमें बहुत ही कड़ी साधना और व्रत होता है। जिसके कारण उस साधक को दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति होती है। नवरात्र में भी गुप्त नवरात्र का खासा महत्त्व है। कहते हैं कि जो कोई भी इन नौ दिनों में सच्ची श्रद्धा के साथ दस महाविद्याओं में से किसी एक की भी पूजा-साधना करके घर में उसका यंत्र स्थापित करता है, उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि आ बसती है।....
अपनी राशि के अनुसार होगी पूजा-आराधना, तो नहीं रहेगी दौलत और शोहरत की कमी
प्रत्येक मनुष्य मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए अपने इष्ट देवी-देवता की पूजा अर्चना करता है। अपनी जन्म राशि के अनुसार यदि अपने इष्ट देवी-देवता की पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से आराधना की जाए तो जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यहां हम समस्त बारह जन्म राशियों के अनुसार इष्ट देवी-देवता की आराधना करने के सम्बंध में चर्चा कर रहे हैं। ....
जब हों ऐसे योग तो भूलकर भी ना करें शादी, हो जाएंगे बरबाद
जोडिय़ां स्वर्ग में बनती हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जिनके होने पर विवाह को टालना चाहिए या इन परिस्थितियों में विवाह करने से बचना चाहिए, नहीं तो ऐसी शादी आपको बरबाद तक कर सकती है। ....
जमीन खरीदने से पहले इन वास्तु नियमों को देख लें, हो जाएंगे वारे-न्यारे
वास्तुशास्त्र मानव मात्र को यह बताता है कि गृह निर्माण में किन दोषों के कारण रोगों की उत्पत्ति संभव है। यदि इन दोषों से बचकर हम अपने घर का निर्माण कराएं तो हम निरोगी रह सकते हैं। महानगरों में वास्तुशास्त्र के सभी नियम लागू नहीं किए जा सकते, लेकिन ज्यादा से ज्यादा नियमों का पालन करना चाहिए।....
चंद उपायों से करे सकते हैं ग्रहों की चाल को अपने अनुकूल, बदल जाएंगे बुरे दिन अच्छे दिनोंं में
ग्रहों की दशा जहां जातक को सुकून देती है, वहीं अंतरदशा की स्थिति में जातक परेशान हो जाता है। कार्य अवरुद्ध होने लगते हैं, मनचाहे परिणाम नहीं मिलते। खराब समय में अगर धैर्य के साथ सभी ग्रहों की शांति का रास्ता खोजा जाए और उसके लिए ज्योतिषीय उपाय किए जाएं तो परिणाम सकारात्मक आ सकते हैं। ....
वास्तु के कुछ खास नियम आपको बना सकते हैं करोडपति, एक बार कर लें चैक
जिस दिशा से सूर्य देवता उदय होते हैं वह पूर्व दिशा है। इस दिशा के स्वामी इंद्र भगवान हैं। पूर्व दिशा अग्नि तत्व है, जिसे कभी भी बंद नहीं करना चाहिए। इसे बंद करने से वहां रहने वालों को कष्ट, अपमान, ऋण और पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। दक्षिण को सदैव बंद रखना ही शुभ माना जाता है। यदि इस दिशा में खिड़की हों तो उन्हें बंद रखना चाहिए। इस दिशा में कभी भी पैर करके नहीं सोना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन अथवा स्थान की दृष्टि से एक मध्य स्थान और आठ दिशाएं होती हैं। इन सभी दिशाओं का अपना अलग-अलग महत्व है। आइए इन्हें समझे और जानें इनके बारें में- ....
आपके सपने भी बताते हैं कल क्या होने वाला है, जरूरत केवल समझने की है
यदि स्वप्न लाल पुष्प, तलवार, ब्राह्मण बालक, सरोवर, सूर्य-चंद्र, इंद्रधनुष, फल-फूल युक्त बगीचा, नीम, नारियल, घोड़ा, दही-दूध, मिष्ठान से बनी खीर, जल से भरा कलश, किसी की अर्थी देखना, सुगंध लगाना दिखाई दे तो ये शुभ स्वप्न की श्रेणी में आते हैं लेकिन यदि सपने में अग्नि, विधवा स्त्री, एक्सीडेंट, गले का फोड़ा, कलश का टूटना, सीसा का टूटना, रक्त वर्षा, मैले-कुचले व्यक्ति देखना, सुअर, बैल, सियार, नंगी स्त्री, स्वयं के शरीर पर तेल लगाना अशुभता का प्रतीक होते हैं। प्राचीन काल से ही स्वप्न को शुभ व अशुभता का प्रतीक माना जाता था।
ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय से ठीक पहले देखा गया स्वप्न तत्काल और सूर्योदय के बाद देखा गया स्वप्न दो सप्ताह में फलित होता है। सायंकाल के स्वप्नों का फल तीन सप्ताह, रात्रि के प्रहर के प्रथम प्रहर का स्वप्न सवा साल में, दूसरे प्रहर का स्वप्न एक वर्ष में और तीसरे प्रहर का स्वप्न तीन दिन, तीन माह या तीन साल में फलित होता है।
सभी तरह के स्वप्नों को एक व्याख्या में वर्णित नहीं किया जा सकता क्योंकि कुछ स्वप्न अजीर्णता, मानसिक उत्तेजना या दबी हुई मनोवृति के कारण दिखाई देते हैं तो कुछ सामान्यवस्था और गहरी निद्रा में ही आते हैं। क्या होते हैं सपनों के इशारे और उन्हें राशिवार समझकर किस तरह भविष्यज्ञान किया जाता है जानें जरा-
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शिव पूजा में इन चीजों के ध्यान से मिलेगी महादेव की विशेष कृपा, नहीं रूकेंगे कोई काम
शिव यूं तो शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रखकर यदि पूजा अर्चना की जाए तो महादेव तुरंत मेहरबान होने लगते हैं, जिससे आपका कोई भी काम नहीं रूकता और आप जीवन में कामयाब होते चले जाते हैं।....
पुराणों के अनुसार इन तीन ऋणों से मुक्ति से आएगी जीवन में खुशहाली और सम्पन्नता
ऋणों के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे स्वयं के अलावा पूर्वजों के ऋणों के भार भी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलता रहता है जब तक कि उनका मार्जन ना हो जाए। ....