शनि का धनु से वृश्चिक में प्रवेश, इन उपायों से शनिदेव को रिझाएं, कुछ राशियों पर रहेंगे भारी कुछ पर बरसेगी कृपा

आज से शनि धनु राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गया है। ऐसे में कुछ राशियों पर रहेगी मेहरबानी और कुछ पर रहेगी शनि की क्रूर नजर। ऐसे में कुछ खास काम कर शनि की कृपा पाई जा सकती है।

शनि की साढे़साती और ढ़ैया
गोचर भ्रमणवश जब शनि किसी जातक की राशि से बारहवें, प्रथम या द्वितीय स्थान में हो, तो यह शनि की साढ़ेसाती कहलाती है। वहीं चौथे या आठवें स्थान पर शनि संचार करे तब शनि की ढ़ैया कहलाती हैं। शनि की ढैया और साढे़साती से प्रभावित व्यक्तियों को मानसिक अशांति, धनाभाव, शारीरिक कष्ट, नौकरी व्यवसाय में परेशानी आदि कष्ट हो सकते हैं। परन्तु ध्यान रखें जिनकी जन्म कुंडली में शनि श्रेष्ठ स्थान उच्च, स्वग्रही या मित्र राषि में हो और दशार्न्तदशा श्रेष्ठ चल रही हो तो उनके लिए शनि ढैया और साढे़साती काल में अशुभ न होकर शुभ फलदायक ही रहेगा। शनि के अनिष्ट फल निवारणार्थ शनि की प्रिय वस्तुओं का यथा शक्ति दान करें। न्याय पर चलें और कर्मनिष्ठ बनें। कुष्ठ रोगी, अपंग, बेसहारा तथा वृद्धजनों का सम्मान एवं यथा संभव उनकी मदद करें। शनि का दान किसी वृद्ध ब्राह्मण या असहाय, दीन-हीन गरीब व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा सहित करना शुभ होता है।

करें दीपदान

शनि जयंती को सायंकाल सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्र ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का जप करें। इस मंत्र का जप प्रत्येक शनिवार को जारी रखें। हनुमानजी की उपासना करें। पक्षियों को दाना डालें और पानी के परिंडे रखें। छायादार वृक्ष लगवाएं।

करें शनि के व्रत
भक्तिपूर्वक शनिवार का व्रत करें। शनि महाराज का तेलाभिषेक कर कंगन, खीर, कचौरी, काले गुलाब जामुन आदि का भोग लगाएं। लोहवान युक्त रुई की वर्तिका (बत्ती) बनाकर उसे कड़वे तेल में डालकर संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।

करें शनि के दान
अनिष्ट फल निवारणार्थ शनि की प्रिय वस्तुओं तिल, तेल, कुलथी, उड़द, काला वस्त्र, काला पुष्प, जूता, कस्तूरी, नीलम, कटेला, स्टील या लौह पात्र, सप्त धान्य (जौ, गेहूं, चावल, तिल, कागनी, उड़द, मूंग), आदि का दान किसी वृद्ध ब्राह्मण, दीन-हीन, गरीब व्यक्ति, अपंग, बेसहारा आदि को अपनी सामर्थ के अनुसार दक्षिणा सहित करना शुभ होता है। न्याय पर चलें और कर्मनिष्ठ बनें। कुष्ठ रोगी, अपंग, बेसहारा तथा वृद्धजनों का सम्मान एवं यथा संभव उनकी मदद करें।

शनि के मंत्र जप
शनि के वैदिक मंत्र ओम शन्नो देवीरभिष्टऽआपो भवन्तुपीतये शय्योरभिस्रवन्तु नः का यथा शक्ति जाप करें। दशरथ कृत शनि स्तोत्र, शनि दसनाम स्तोत्र, गजेन्द्र मोक्ष आदि का पाठ करें। शनिवज्र पंजर कवच के शमी, खेजड़ा अथवा पीपल वृक्ष के पास सात बार पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

छायादान करें
स्टील के बर्तन में सरसों का तेल भरें, उसमें एक सिक्का डालकर शनिवार के दिन प्रातः अपना चेहरा देखें और इस तेल को आक के पौधे पर डालें अथवा षनि मंदिर में दान करें। ऐसा पांच शनिवार तक करें। अंतिम शनिवार को तेल के साथ उस बर्तन का भी दान कर दें। तेल चढाते समय शनि मंत्र का जप करें।
पं महेश शर्मा
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