जानें पौष पूर्णिमा व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में

पौष मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन से प्रयागराज में माघ मेले की शुरूआत भी हो जायेगी। कहा जाता है कि पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा के संगम के रूप में देखा जाता है। क्योंकि पौष के महीने में सूर्य देव की उपासना की जाती है तो पूर्णमा तिथि पर चंद्र देव की।
जानें पौष पूर्णिमा व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में ..

पौष पूर्णिमा का महत्व : पौष माह की पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव नहीं हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। इसके बाद पूरे दिन व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर पर स्नान करने का महत्व बताया गया है। नदी पूजा और स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है।

पौष पूर्णिमा व्रत विधि : यह बात हम सभी जानते है कि हर महीने में पूर्णिमा तिथि पड़ती है लेकिन पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। पूर्णिमा का व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव के मंत्र का जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य दें। भगवान विष्णु की पूजा करें और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाएं। इस दिन दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों को जरूर बांटे।

पौष पूर्णिमा मुहूर्त : शुक्रवार (10 जनवरी) को पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 02:34 ए एम बजे से होगा और इसकी समाप्ति 11 जनवरी को 12:50 ए एम बजे तक होगी।

चंद्र ग्रहण : इस पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। बता दें कि यह साल का पहला चंद्र ग्रहण है। उपच्छाया चंद्रग्रहण होने की वजह से इसका सूतक नहीं लगेगा। ज्योतिष मुताबिक जो ग्रहण खुली आंखों से दृश्य हो केवल उसी का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है।
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