मार्गशीर्ष पूर्णिमा: जानें व्रत विधि और महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार 12 दिसंबर 2019 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन अमृत और अमरता का कारक चंद्रमा भी अपनी मजबूत स्थिति में होगा। किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की आखिरी ही तिथि ही पूर्णिमा तिथि होती है। ज्योतिष इसे पूर्णमासी भी कहते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा समसप्तक अवस्था में होते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

पूरे माह पूजा-पाठ और व्रत करने वालों के लिए पूर्णिमा का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस पूर्णिमा को किसी पवित्र नदी में स्नान कर के दान करने से पापों का नाश होता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और कथा करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गीता पाठ करने का भी महत्व है। इस दिन गीता पाठ करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत-विधि-

इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें। अब पूजा स्थल पर एक वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं।

व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान जरूर देवें दें।

तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें।

ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालग्राम का अभिषेक करें।

इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।
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