उपहार में मिला जूता पहनना बरबादी को न्योेता देना है

ज्योतिष के अनुसार जूते शनि ग्रह से जुडे हुए हैं। इसलिए ही शनि दोष होने पर व्यक्ति को जूते दान करने के लिए कहा जाता है। कई बार जूतों के कारण ही हमारे बनते काम बिगड़ जाते हैं और हम इस बात से अंजान रहते हैं। यदि हमें इस बात का ज्ञान हो जाए कि कहां, कब, कैसे और कौन से जूते पहनकर जाना चाहिए तो दुर्भाग्य सौभाग्य में परिवर्तित हो सकता है।

ध्यान रहे कि कभी भी उपहार में मिले जूते ना पहनें। इस प्रकार के जूते पहनने से व्यक्ति तरक्की नहीं कर पाता और उसका भाग्य सदा के लिए रुक जाता है।

इस बात को गांठ बांधकर रख लें कि जब भी साक्षात्कार या नौकरी की तलाश में जाएं तो कभी भी फटे हुए या उधड़े हुए जूते न पहने। ऐसे जूते सफलता में रुकावट बनते हैं।

आफिस या कार्यस्थल में भूरे रंग के जूते पहनकर न जाएं। इस प्रकार के जूते पहनने से बनते कार्य भी बिगड़ जाते हैं।

बैकिंग या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी कॉफी या डार्क ब्राउन रंग के जूते नहीं पहनने चाहिए। ऐसे जूते उनके लिए अशुभ रहते हैं।

मेडिकल फील्ड और लोहे का कार्य करने वालों को सफेद रंग के जूते नहीं पहनने चाहिए। ऐसे जूतों को पहनने से उन्हें आर्थित नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

पानी और आयुर्वेदिक कार्यों से संबंधित लोगों के लिए नीले रंग के जूते पहनना अशुभ रहता है। जूते-चप्पल पहनकर कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। इससे दुर्भाग्य में वृद्धि होती है।

वास्तु के अनुसार घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी) में भूलकर भी जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए।


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