सम्पन्नता और समृद्धि पाने के लिए वंसत पंचमी को करें ये खास उपाय

माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी कहते हैं। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का दिन है। बसंत पंचमी के दिन को अबूझ शुभ मुहूर्त भी माना जाता है। यानी आप कोई भी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, मकान-दुकान की खरीदारी या मुहूर्त आदि कार्यों को बिना ज्योतिषीय परामर्श के बसंत पंचमी के दिन कर सकते हैं।

तंत्र-मंत्र प्रयोग के लिए शुभ
तंत्र शास्त्र में वसंत ऋतु को महत्वपूर्ण माना गया है। उसके अनुसार वशीकरण, सम्मोहन और आकर्षण से संबंधित प्रयोग एवं हवन आदि वसंत ऋतु में करने से विशेष शुभ और फ़लदायी होते हैं।
तंत्र-मंत्र तथा संगीत साधना भी वसंत ऋतु में करने से देवी सरस्वती की विशेष कृपा मिलती है। शुभता के लिए पूजन वसंत पंचमी के दिन भगवान् विष्णु की पूजा का विधान है।
इस दिन प्रातःकाल तेल का उबटन लगाकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इसके बाद पितृ तर्पण और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाले कष्ट और बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
इस दिन पारिवारिक सुख, शान्ति और प्रेम भाव बनाये रखने के लिए कामदेव और रति की पूजा भी की जाती है। पितरों तथा देवों की प्रसन्नता के लिए नए अनाज में घी एवं मीठा मिलाकर अग्नि को समर्पित करने की भी परम्परा है।
भगवान विष्णु के साथ गणेश, शिव और सूर्य आदि का पूजन करने के बाद देवी सरस्वती का पूजन करने से समस्त देवी-देवताओं का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्या करें इस दिन
स्नान आदि करके पीतांबर या पीले वस्त्र पहनें। माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल बनाएं। उसके अग्रभाग में गणेशजी स्थापित करें।
सर्वप्रथम गणेशजी का पूजन करें और फिर पृष्ठभाग में स्थापित वसंत पुंज के द्वारा रति और कामदेव का पूजन करें। इसके लिए पुंज पर अबीर आदि के पुष्पों माध्यम से छींटे लगाकर वसंत सदृश बनाएं। सामान्य हवन करने के बाद केशर या हल्दी मिश्रित हलवे की आहुतियां दें।
‘वसंत-पंचमी’ के दिन किसान लोग नए अन्न में गुड़ तथा घी मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ-तर्पण करें। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का भी विधान है। कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
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