सावन का तीसरा सोमवार आज, 125 साल बाद बन रहा ये संयोग
            Astrology Articles   I   Posted on 05-08-2019  ,11:52:10   I  by: vijay
            
            
            सावन (श्रावण मास) के महीने का आज तीसरा 
सोमवार है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मंदिरों में भक्तों की खूब भीड़ उमड़ी हुई है। सावन के तीसरे सोमवार 
में त्रियोग का संयोग बन रहा हैं।              
             
              
              
              
            
वहीं आज एक और संयोग बन रहा है 
सावन के तीसरे सोमवार को नागपंचमी भी है। सावन के 
तीसरे सोमवार को नाग पंचमी  पर पूरे 125 सालों बाद 
सोमवार के दिन को पड़ रही है। जिसके कारण इस पर्व का फल दोगुना हो जाएगा। 
संयोग
 के साथ-साथ इस दिन यायीजयद योग के साथ हस्त नक्षत्र है। सावन शुक्ल पक्ष 
की पंचमी को नागदेव के पूजन करने की परंपरा है। इसलिए अगर आप भी शिव जी के 
साथ साथ नाग देवता की भी कृपा पाना चाहते हैं तो इस शुभ मुहूर्त में उन्हें
  दूध पिलाएं और पूजा करें। 
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त...5 अगस्त के दिन नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त सुबह 9:50 से 11:45 के बीच पड़ रहा है। जबकि समाप्ति तिथि इसी दिन दोपहर 3:45 तक रहेगी।
शिवजी और पार्वती की ऐसे करें पूजा...सावन
 के तीसरे सोमवार को लोग भोले नाथ का व्रत भी रख रखते हैं। अगर आप भी व्रत 
कर रहे है तो सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। 
भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें। दिन में 
दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें। 
भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित
 करें। आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध 
अर्पित करें। भगवान शिव को दूध और जल अर्पित करना बहुत अच्छा माना जाता है।
 सावन के सोमवार को हो सके तो रुद्राभिषेक कराएं। सावन के महीने में वैसे 
शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। इसके अलावा शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से जीवन 
में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
नाग पंचमी पर कैसे करें पूजा... सावन
 का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है। इसलिए नागपंचमी के मौके पर 
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और 
सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। वहीं इस दिन महिलाएं दीवारों पर नाग का 
चित्र बनाकर दूध से स्नान कराके विभिन्न मंत्रों से पूजा अर्चना करती हैं। 
इससे पहले शिव जी की पूजा होती है। 
कालसर्प दोष से पीडि़त लोग इस दिन विशेष
 पूजन कर इसकी शांति कराते हैं। इस दिन दुग्ध से रुद्राभिषेक कराने से 
प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति होती है। प्रसाद में लावा और दूध बांटते हैं। 
जिनकी कुंडली राहु से पीडि़त हो, वो इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें।
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