18 नवम्बर को है शनि अमावस्या, दंडनायक को रिझाने के सरल उपाय

इस वर्ष 18 नवम्बर को शनैश्चरी अमावस्या है। जिस अमावस्या को शनिवार पड़ता है, उसे शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार की शनैश्चरी अमावस्या इस मायने में ख़ास है कि इस तिथि को प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक अमृत योग रहेगा। माना जाता है कि अमृत योग में शनि देव की विधि पूर्वक उपासना से सुख- समृद्धि, संपत्ति, शांति, संतान और आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है, साथ ही बिगड़े हुए कार्य भी बनने लगते हैं। शनि की साढ़े साती से प्रभावित चल रहे जातकों के लिए इस दिन शनि देव की आराधना विशेष लाभकारी होगी।

ऐसे करें शनि देव की पूजा
अमावस्या के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व ही गंगा, यमुना अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही साधारण पानी में गंगा या यमुना का जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद अपने इष्टदेव, गुरुजन, माता-पिता, श्री गणेश, भगवान शिव और सूर्यदेव की आराधना करके सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। शनैश्चरी अमावस्या को अपने पितरों के निमित्त भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले तिल मिश्रित जल अर्पण करना चाहिए।
ऐसा करने से पितृ दोष दूर होकर पितरों की कृपा
जीवन भर मिलती रहती है। पीपल पर प्रातः अथवा शाम को जल चढ़ाना भी अच्छा उपाय है। शनि देव की मूर्ति पर उनके चरणों की ओर देखते हुए सरसों का तेल, काले तिल, लोहे की कील या सिक्का, काले वस्त्र का टुकड़ा, काजल आदि अर्पित करते हुए शनि देव से सभी दुःख और कष्ट दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
इस अमावस्या करें दान
35 से 42 वर्ष की आयु सीमा वाले जातकों तथा शनि के अशुभ प्रभाव से पीड़ित जातकों को इस शनैश्चरी अमावस्या पर शनि देव की उपासना करते हुए श्रद्धानुसार लोहा, भैंस, काली उड़द या मसूर की दाल, सरसों का तेल, काले रंग की वस्तुएं जैसे छाता, जूते, कम्बल, कपड़ा आदि का दान शाम के समय किसी वृद्ध एवं निर्धन व्यक्ति को करना अत्यंत ही शुभ परिणाम देने वाला सरल उपाय है।
रोग निवारण के लिए जपें मंत्र
निर्बल राशिगत शनि ग्रह के कारण लकवा, कमर दर्द, चोट लगने से दर्द एवं अंग भंग, पेट रोग, कुष्ठ, दमा, नेत्र रोग, वात रोग आदि होने की संभावना रहती है। इसलिए इन रोगों से बचाव के लिए जातकों को शनि ग्रह से संबंधित मंत्र  ओउम शं शनैश्चराय नमः का प्रतिदिन ग्यारह माला जप करना चाहिए। इसके अलावा शनि स्तोत्र, शनि स्तवन, शनि पाताल क्रिया, महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र, हनुमान उपासना आदि का विधि पूर्वक पाठ करना भी बहुत उपयोगी माना गया है।
नववर्ष में अपनी झोली में खुशियां भरने के लिए करें ये 6 उपाय
करें ये 15 उपाय, नहीं रहेंगे कुंवारे, होगी जल्‍दी शादी
3 दिन में बदल जाएगी किस्मत, आजमाएं ये वास्तु टिप्स

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team