शुरू हुआ कार्तिक मास, भूलकर भी नहीं करें ये काम

स्कंद और मत्स्य पुराण के अनुसार कार्तिक स्नान से जीवन में सुख, संतान, आरोग्य और अन्य लाभों की प्राप्ति होती है। इस महीने कुछ काम बिल्कुेल नहीं करने चाहिए। उन कामों को करने से सतता हाथ से छीन सकती है और जातक को नुकसान उठाना पडता है-

कार्तिक मास लगते ही पूर्णिमा से लेकर कार्तिक उतरते की पूर्णिमा तक प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ही पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी आदि में स्नान करके तुलसी, पीपल, बरगद, आंवला आदि वृक्षों पर जल अर्पित करने की परंपरा है। इसके अलावा पांच ईंट या पांच पत्थर के टुकड़ों को रखकर पथवारी बनाते हैं, जिसकी जल, मौली, रोली, चंदन, अक्षत, फल,प्रसाद, धूप, दीपक आदि से पूजा की जाती है। कार्तिक मास में प्रतिदिन व्रत रखकर रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर भोजन किया जाता है। अंतिम दिन सुराही, भोजन,वस्त्र, धन आदि का दान बड़े-बुजुर्गों को करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

कार्तिक मास में क्या करें, क्या न करें

चूंकि कार्तिक मास को पवित्र और भक्ति भाव से पूर्ण माना गया है, इसलिए इस मास में कोई भी अपवित्र या वर्जित कार्य नहीं करना चाहिए। इस मास में नमक, शहद, इत्र, गजरे आदि के प्रयोग से बचना चाहिए।

अकारण ही रोना या विलाप करना तथा घर में कलह करना निषिद्ध माना गया है। क्षमाशीलता, विनम्रता, दयाभाव, संतोष, सत्यवादिता जैसे सद्गुणों को अपनाकर शुद्ध ह्रदय भाव के साथ जीवन बिताना चाहिए।

कार्तिक मास में शैया पर शयन न करके धरती पर ही शयन करना उचित रहता है। इस मास में जौ, तिल का तेल, आंवला, श्री खंड और तुलसी दल का सेवन करना अच्छा माना गया है।

कार्तिक मास में प्रतिदिन तुलसी का पूजन, विष्णु और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, आंवला और कदली वृक्ष को जल से सींचना तथा सात परिक्रमा देना और ॐ विष्णवे नमः मंत्र का जप करना भी शुभ फलदायी होता है।

कार्तिक मास में देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान चार मास की निद्रा से जागते हैं, इसलिए इस दिन व्रत और तुलसी विवाह का विशेष महत्व है।

इस मास में उत्तर पूर्व भारत में सूर्य षष्टी का पर्व भी होता है। यह पर्व आस्था, विश्वास एवं संकल्प से जुड़ा है तथा शरीर और मन, दोनों की पवित्रता को बनाये रखने वाला है।

कार्तिक मास का है खास महत्व
कार्तिक मास को रोगनाशक, सद्बुद्धि, मुक्ति, पुत्र-पौत्र, और धन-धान्य आदि प्रदान करने वाला मास बताया गया है। इस मास में गंगा स्नान, दान, जप-तप, यज्ञ, हवं, अनुष्ठान आदि करने से मनुष्य को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस मास में भगवान विष्णु, लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती, हनुमान जी, धन्वंतरि, माता दुर्गा आदि की पूजा आराधना से सभी प्रकार के ऋणों मुक्ति मिलती है तथा सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कार्तिक मास में देव मंदिर, जल स्थान, देव वृक्ष, अंडकार वाले स्थान आदि पर दीप जलाने, भूमि पर शयन करने, साधू-संतों की सेवा करने, अखाद्य पदार्थों का सेवन न करने और पवित्र जीवन व्यतीत करना अत्यंत ही शुभ फलदायी होता है।
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