कहीं आपसे शनिदेव नाराज तो नहीं है? रिझाने के लिए करें ये खास उपाय

इंसान को सबकुछ पाने के लिए शनिदेव को जरूरी प्रसन्नप करना पडता है। कहते हैं कि शनि की साढ़े साती, महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यंतर दशा की स्थिति में तो शनि के द्वारा जीवन में अनिष्ट होने का भय अधिक ही हो जाता है, जबकि शनि देव दंड और न्याय के देवता हैं। वे केवल उसी को दंडित करते हैं, जिसके कर्म खराब हों, वह पाप कार्यों में लिप्त हो अथवा उसका आचरण दोषपूर्ण हो। उचित, न्यायप्रिय, सत्य बोलने वाले और शुभ कर्म करने वाले मनुष्यों को शनि का प्रकोप कभी नहीं झेलना पड़ता है। यदि आपको लगता है कि आपसे शनिदेव नाराज हैं तो कुछ खास उपाय करें। आपसे शनिदेव तुरंत प्रसन्न हो जाएंगे-

मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि देव तुला राशि में उच्च के जबकि मेष राशि में नीच के माने गए हैं। जन्म कुंडली में जब शनि शुभ भाव के स्वामी होते हैं तब वे कभी भी किसी का अशुभ नहीं करते हैं इसलिए ऐसे जातकों को शनि की आराधना करके शनि को बली बनाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। परंतु जब कुंडली में शनि शुभ भाव में निर्बल स्थिति में बैठे हों तो उन्हें बल प्रदान करके मजबूत बनाने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

वहीँ शनि देव के अशुभ भाव का स्वामी होने पर उनके अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए शनि से संबंधित मंत्रों का जप करना चाहिए। शनि की साढ़े साती अथवा ढैय्या से पीड़ित जातकों को शनि देव की प्रसन्नता के लिए श्री रामभक्त हनुमान जी की आराधना के साथ-साथ शुक्ल पक्ष के शनिवार को छाया दान करना चाहिए।

इसके लिए एक स्टील या लोहे की कटोरी या बर्तन में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखनी चाहिए और उसमें लोहे का एक सिक्का या लोहे की कील और थोड़े से काले तिल दाल कर दान कर देना चाहिए। यदि दान करना संभव न हो तो उस तेल को शनि देव के मंदिर में या किसी पीपल के वृक्ष की जड़ में चढ़ा देना चाहिए। तेल दान करते समय इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि दान किया जाने वाल तेल घर से ही लिया जाए।

शनिवार को बाज़ार से खरीदकर दान न करें। शनि देव पर तेल अर्पित करते समय शनि की आंखों में न देखकर उनके चरणों की ओर ही देखना चाहिए। मान्यता यह है कि शनि की दृष्टि अशुभ होती है। शनि की महादशा या अन्तर्दशा होने पर शनि के बीजमंत्र  ॐ शं शनिश्चराय नमः का एक माला जप प्रत्येक शनिवार को करते हुए सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ भी नियमित पाठ भी करना चाहिए।

शनि के अशुभ प्रभाव से बचने लिए श्रवण नक्षत्र वाले शनिवार के दिन अभिमंत्रित शमी की जड़ को काले धागे में धारण करना शुभ होता है। विधि-विधान से अपनी कुंडली के अनुसार शनि की आराधना एवं पूजा करते रहने से जीवन में अशुभ प्रभाव दूर होकर चमत्कारिक लाभ मिलने हैं।
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