मन की शांति और सम्पन्नता के लिए केवल एक माला शिव गायत्री मंत्र है पर्याप्त

सृष्टि के पालक और संहारक के रूप में सर्वविदित भगवान शिव साक्षात महाकाल हैं, जिनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना सभी सनातन धर्म के अनुयायियों द्वारा की जाती है। ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश- इन त्रिदेवों में महेश अर्थात शिव शक्ति के आराध्य देव माने गए हैं। शिव सदैव सक्रिय रहते हैं। जहां शिव तत्व होता है, वहां परिवर्तन की प्रक्रिया सतत रूप से चलती है। समस्त विश्व का कल्याण करने वाले शिव समस्त प्राणियों को दीन-दुखियों की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं।
गायत्री मंजरी के अनुसार, शिव आदि योगी हैं। योग के सभी भेदों का गूढ़ ज्ञान शिव को प्राप्त है। शिव के साथ शक्ति का प्रादुर्भाव होता है। इसलिए शिव और शक्ति सदैव साथ रहते हैं। पृथ्वी की प्रथम एवं सबसे बड़ी शक्ति गायत्री माता हैं। गायत्री को महाकाली भी कहा गया है। शिव गायत्री योग आत्मा की उन्नति के लिए परम आवश्यक है। गायत्री मंत्र शिव की आराधना शक्ति है। शिव के साथ गायत्री का उद्बोध सरल और महाफलदायी है।
शिव गायत्री मंत्र
"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात" यह शिव गायत्री मंत्र है, जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण संभव है। शिव गायत्री मंत्र का जप प्रत्येक सोमवार को करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार से उपवास रखते हुए इस मंत्र का आरंभ करना चाहिए। श्रावण मास में सोमवार को शिव गायत्री मंत्र का जप विशेष शुभ फलदायी माना गया है। शिव गायत्री मंत्र का जप करके शिवलिंग पर गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, धूप, फल, पुष्प आदि श्रद्धा भाव से अर्पित करने से शिव एवं शक्ति, दोनों की ही कृपा मिलती है।
शिव गायत्री मंत्र के लाभ
पवित्र भाव के साथ विधिपूर्वक शिव गायत्री मंत्र का जप करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। अकाल मृत्यु तथा गम्भीर बीमारियों से मुक्ति के लिए शिव गायत्री मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप अत्यंत ही शुभ है। इसके लिए शुद्ध रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। जिन जातकों की जन्म कुंडली में काल सर्प योग हो अथवा राहु, केतु या शनि ग्रह जीवन में पीड़ा दे रहे हों, उन्हें शिव गायत्री मंत्र का पाठ राहत देता है। जीवन में सुख, समृद्धि, मानसिक शांति, यश, धनलाभ, पारिवारिक सुख आदि की प्राप्ति के लिए शिव गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई और मंत्र नहीं है। भगवान शिव के साथ-साथ ब्रह्मा और विष्णु जी की आराधना करते हुए शिव गायत्री मंत्र का जप करना विशेष फलदायी माना गया है।
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