इस विधा से आप आने वाले कल को आप भी देख सकते हैं

प्राचीन काल में बडे संत आने वाले कल को देख लिया करते थे, भविष्यवाणी कर दिया करते थे। ऐसा कैसे होता था, क्याा यह आज भी संभव है? जी हां, कुछ तरीकों को अपनाकर आने वाले कल को भी देखा जा सकता है। 

आज्ञा चक्र के साधक सदा निरोग, सम्मोहक और त्रिकालदर्शी माने जाते हैं। कुंडलिनी के इसी आज्ञा चक्र को योग साधनाओं दवारा जागृत करके किसी भी स्त्री /पुरुष का भूत भविष्य देखा जा सकता है। वर्तमान/तत्काल वह क्या सोच रहा है यह आसानी से पता लगाया जा सकता है। जब इस चक्र का हम ध्यान करते हैं तो हमारे शरीर में एक विशेष चुम्बकीय उर्जा का निर्माण होने लगता है उस उर्जा से हमारे अन्दर के दुर्गुण ख़त्म होकर, आपार एकाग्रता की प्राप्ति होने लगती है।
आज के युग में तो ऐसी साधना हर किसी को करनी ही चाहिए ताकि सामने वाले पुरुष या स्त्री के मन में क्या है बिना बताये पता लग जाय। आपके प्रति उसके अन्दर कैसी भावना है। वह आपके लिए नुकसानदायक है या फायदेमंद। ये सब कुछ जानकारी मिल जाती है और यह जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी जब आप अपने आज्ञाचक्र को जागृत करने का प्रयत्न करेंगे। सौभाग्य से आपकी आज्ञाचक्र जागृत हो जाता है तो दुनिया में आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाएगा, यह हमारा दावा है। यदि थोड़ा भी जागृत हुआ तो बेशक आपके लिए वह धारदार शस्त्र का काम करेगा तथा समाज कल्याण के लिए बहुत कुछ कर सकेंगे आप। यही नहीं आप आज्ञा चक्र को जागृत करके सम्मोहन वशीकरण में भी अद्भुत लाभ प्राप्त को भी अपने वश में कर सकते है। बीमारियों से मुक्त बन सकते है।
आज्ञा चक्र जागृत करना बहुत मुश्किल नहीं है। इसके लिए विशेष नियम विधि से त्राटक का अभ्यास करना होता है। सही विधि उसे कहते है, जिसके द्वारा आपको सफलता पर सफलता मिलती चली जाये। वरना अशुद्ध और अपूर्ण विधि से आंखें नुकसान भी उठाती है। इसी कारण ऐसा त्राटक ज्ञान किसी अनुभवी के मार्गदर्शन में ही करना उचित होता है। इसके जागरण से पूरा शरीर सम्मोहन की उर्जा से आप्लावित हो जाता है जिससे किसी विमार व्यक्ति को स्पर्श करके ही रोग मुक्त कर सकते हैं।
किसी अपराधी प्रवृति के युवक या युवती की गलत सोच को ख़त्म कर उसे सही राह पर लाया जा सकता है। रात दिन तनाव में रहने वाले व्यक्ति को माइण्ड फ्री और फ्रेश बनाया जा सकता है। किसी की उलझी हुई गुथियों को सुलझाया जा सकता है। नशा पान करने वालों को पूर्ण स्वस्थ किया जा सकता है। अतःआज्ञा चक्र जागृत कर एक अच्छा भविष्यवक्ता बना जा सकता है। समाज में अलग स्टेट्स बन सकते हैं। क्योंकि एकाग्रता आपके अन्दर भ्रमण करती रहती है। आज्ञाचक्र जागृत करने के लिए बहुत कठिन युक्ति भी नहीं है। आइए आज्ञाचक्र को जागृत करने के कुछ उपाय पर चर्चा करते हैं।

आज्ञाचक्र को जगाने का तरीका
किसी शांत एकांत कमरे या स्थान पर पालथी मारकर बैठ जाएं। मेरुदंड सीधा रखें, झुके नहीं। दोनों आँखे बंद कर लें। अपने मस्तक के मध्य दोनों भौहों के मध्य में ध्यान से देखने का प्रयास करें। जब आप ऐसा करेंगे तो थोड़ा कष्ट होगा परन्तु अभ्यास बनाए रखेंगे तो आगे सरल सहज लगेगा। जब आप आँखे बंद कर चक्र का ध्यान करते हैं तो वहाँ घोर अँधेरा दीखता है। जैसे ब्रह्माण्ड में चारो तरफ अँधेरा ही अँधेरा व्याप्त हो। किन्तु उस घोर अँधेरे में भी एक काली सी तिल चलती भागती दिखाई देती रहती है। अपने ध्यान के उस क्षण (समय) में उस काली तिल को अपने आज्ञाचक्र के पॉइंट पर ही स्थापित करने का प्रयत्न करें।
नित्य अभ्यास करेंगे तो आपको शीघ्र सफलता प्राप्त होने लगेगी। जैसे ही वह काली तिल चक्र पॉइंट पर स्थापित होने लगेगी तभी से वहां का अँधेरा भी छटने लगेगा और जैसे-जैसे उजाले में वृद्धि होगी वैसे वैसे आज्ञाचक्र जागृत होता चला जाएगा। यह एक गुढ़ विद्दा है। गूढ़ रहस्य है। किन्तु आप इसको समझ लेते हैं, और अभ्यास जारी रखते हैं तो मेरा दावा है आप समाज के विशिष्ट हस्ती बन सकते हैं।
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