कहीं आप राक्षस गण में तो नहीं जन्में हैं?

अगर कोई जातक विपत्ति के समय आने वाले संकट को पहले से ही जान ले और उसका तरीके से समाधान कर ले ऐसे जातक राक्षण गण की श्रेणी में आते हैं। ऐसे व्यक्ति की छठी इंद्रिय काफी शक्तिशाली और सक्रिय होती है। यह जातक मुश्किल परिस्थिति में भी धैर्य और साहस से काम लेते हैं।

राक्षस गण के नाम से ही आभास होता है कि जरूर इससे कोई नकारात्मक शक्ति् जुड़ी होगी लेकिन यह अवधारणा बिलकुल गलत है। ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य को तीन गणों में बांटा गया है जिसके अंतर्गत देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण आते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म के समय मौजूद नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति का गण निर्धारित होता है।  आप किस ग्रह के अंतर्गत जन्में हैं, किस राशि के अधीन आते हैं और आपके जन्म का नक्षत्र क्या था, ये बात आपके पूरे जीवन की रूप रेखा खींच देती है।

देवगण में जन्म लेने वाला व्यक्ति उदार, बुद्धिमान, साहसी, अल्पााहारी और दान-पुण्य करने वाला होता है।
मनुष्य गण में जन्म लेने वाला जातक अभिमानी, समृद्ध और धनुर्विद्या में निपुण होता है।
राक्षस गण के बारे में लोगों का मानना है कि यह नकारात्मक गुणों से परिपूर्ण होता है किंतु यह सत्य नहीं है।

मनुष्य के जन्म नक्षत्र अथवा जन्म कुंडली के आधार पर ही उसका गण निर्धारित किया जाता है। राक्षस गण में जन्म लेने वाले जातक की खासियत होती है कि वह अपने आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को जल्द ही महसूस कर लेता है।
कृत्तिका, अश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्रों में पैदा होने वाले जातक राक्षस गण में आते हैं।
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