सूतक काल 4 बजे से क्या न करें, ग्रहण के समय और बाद में क्या करें

सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है।
खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं। सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण डाल देना चाहिए जिससे ये खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नहीं होगें। अगर कुशा नहीं है तो तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं। खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो पृथ्वी जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में होती है और इससे सूर्य का प्रकाश रुक जाता है और चन्द्रमा पर नहीं पड़ता है। परिणाम स्वरूप चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ जाती है । यही चंद्र ग्रहण की स्थिति होती है । इस प्रकार देखा जाए तो चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है और इसके कारण दोनों ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है।

ग्रहण के समय और बाद में क्या करें
खण्ड ग्रास चन्द्र ग्रहण के सूतक काल में दान और जप आदि का महत्व माना गया है। पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान किया जाता है । मंत्रो का जाप किये जाने से शीघ्र लाभ प्राप्त होता है तथा इस समय में मंत्र सिद्धि भी की जाती है। तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं।

खग्रास चंद्र ग्रहण का भारत पर प्रभाव
अग्नि तत्व राशि मेष में चन्द्र राहु की युति एवं पृथ्वी तत्व राशि कन्या में केतु के साथ सूर्य, मंगल, बुध के होने से अग्नि एवं पृथ्वी का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलेगा । परिणाम स्वरूप तीव्र गति से वायु या चक्रवात का चलना, तीव्र गति से चलने वाले वाहनों की क्षति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पृथ्वी में हलचल की स्थिति दिखाई दे सकती है जैसे भूकंप की बड़ी दुर्घटना भूस्खलन एवं आग से बड़ी क्षति भी इस अवधि में दिखाई दे सकता है।

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