कोर्सपोन्डेन्स कोर्स
(Correspondence Course)

यह एक अनूठा कोर्स है जिसमें एक निश्चित अंतराल पर मुख्यालय जयपुर से पाठ्य-सामग्री भेजी जाती है। छ: माह के बाद मुख्यालय, जयपुर में सघन प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाता है तथा कोर्स समाप्त होने पर दस दिन का सघन प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कोर्स में ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई और आर्किटेक्चर की शिक्षा दी जाती है। प्रशिक्षण के दौरान रिहायशी भवन, फैक्ट्री, मंदिर और ऎतिहासिक इमारतों की वास्तु से संबंधित जानकारी कराई जाती है। प्रायोगिक प्रशिक्षण के दौरान ज्योतिष के माध्यम से वास्तु के दोष और शुभत्व-अशुभत्व खोजना सिखाया जाता है।

 
अवधि: : 1 वर्ष
माध्यम: : हिन्दी व अंग्रेजी
पाठ्य सामग्री : भारत में : ई-मेल के द्वारा
अन्य देशों के लिए
: ई-मेल के द्वारा
शुल्क : INR 35,000/- (including Service Tax)
    शुल्क 2 किश्तों में .
1 किश्तों में INR 20,000
अन्य देशों के लिए   USD 1000
    शुल्क 2 किश्तों में.
1 किश्तों में USD 500
 
प्रथम मॉडयूल  :
ज्योतिष परिचय ज्योतिष में प्रयुक्त होने वाली खगोलीय परिभाषाएं, ग्रह, नक्षत्र, जन्मपत्रिका और राशियाँ तथा ग्रह राशियों और नक्षत्रों का परस्पर संबंध।
अध्याय-1 : ज्योतिष परिचय
  •  प्रारंभिक ज्योतिष:
  • भूकेन्द्रिक सिद्धान्त।
  •   भचक्र (राशि चक्र)।
  • भचक्र में ग्रह नक्षत्रों का विभाजन, राशि परिचय।
  • ग्रहों और नक्षत्रों का स्वामित्व और परस्पर संबंध।
  • बारह भावों का परिचय।
  • बारह भावों के नाम और उनके जु़डे विषय।
अध्याय-2 ग्रह
  •   वैदिक नवग्रह।
  •   ग्रह मंत्रीमण्डल में विभिन्न ग्रहों के पद।
  •   ग्रहों के कारकत्व (विषय)।
  •   ग्रहों से जु़डे आजीविका क्षेत्र।
  •   ग्रहों से जु़डे शरीर के अंग।
  •   नैसर्गिक कारकत्व तत्व।
  •   स्वामित्व।
अध्याय-3 : नक्षत्र
  • नक्षत्रों की परिभाषा।
  •   वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व।
  • नक्षत्रों का वर्गीकरण।
  •   प्रत्येक नक्षत्र से जु़डा पौराणिक आख्यान।
  •   नक्षत्र चिन्ह, स्वामी ग्रह, देवता और नामाक्षर।
अध्याय 4: महत्वपूर्ण परिभाषाएं
  • जन्मपत्रिका के बारह भावों के नाम।
  • ग्रहों की विशेष स्थिति - उच्चा-नीच, अस्त, मूल-त्रिकोण आदि।
अध्याय 5: राशियाँ
  • राशि की विशेषताएँ, तत्व, चिन्ह आदि।
  •  राशि व लग्न का व्यक्ति पर प्रभाव।
द्वितीय मॉडयूल  :
ज्योतिष ज्ञान इस मॉडयूल का मुख्य उद्देश्य ग्रह के नैसर्गिक और अर्जित कारकत्व और प्रत्येक लग्न के लिए शुभ और अशुभ ग्रह का ज्ञान देना है। मुख्य रूप से वर्ग कुण्डलियों तथा दशा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन की प्रत्येक घटना का विश्लेषण करना है।
अध्याय 1 : ग्रह मैत्री
  •   ग्रहों में मित्रता और शत्रुता।
  •   पौराणिक आख्यान।
  •   पंचधा मैत्री चक्र।
  •   राशियों के माध्यम से ज्ञान।
अध्याय 1-ए : दृष्टि
  •   दृष्टि सिद्धान्त।
  •   दृष्टि के विशेष नियम।
  •   दृष्टि का प्रभाव।
  •   बृहस्पति, शनि और मंगल की विशेष दृष्टियाँ।
  •   राहु-केतु की विशेष दृष्टियाँ।
अध्याय 2: षड्बल
  •   ग्रहों के छ: प्रकार के बल।
  •   ग्रहों के षड्बल का फलित महत्व।
  •   व्यक्तित्व पर ग्रहों के षड्बल का प्रभाव।
अध्याय 3: योगकारक - अयोग्यकारक ग्रह
  •   प्रत्येक लग्न के लिए योगकारक-अयोग्यकारक ग्रह का निर्णय।
  •   बारह लग्नों के लिए नैसर्गिक और अर्जित स्थिति।
  •   भावात-भावम का नियम।
अध्याय 3-ए : ग्रह स्थिति
  • ग्रह के अंश और स्थिति।
  •  स्थिति के प्रभाव।
अध्याय 4 : वर्ग-कुण्डलियाँ
  • वर्ग कुण्डली बनाना।
  • जन्मकुण्डली और वर्ग कुण्डलियों का परस्पर संबंध।
  • वर्गकुण्डलियों के आधार पर ग्रह बल।
अध्याय 5: दशा
  •   दशा ज्ञान।
  •   दशा के प्रकार।
  •   दशा गणना का आधार
  •   दशा के परिणाम।
  •   दशा के परिणाम लग्न पर आधारित।
तृतीय मॉडयूल  :
खगोल और पंचांग इस मॉडयूल का मुख्य उद्देश्य खगोल के उन सिद्धान्तों का ज्ञान कराना है जो कि ज्योतिष के परिपेक्ष्य में प्रयोग होते हैं। इसमें समय, सायन, निरयन, पात बिन्दु, ग्रहण आदि के विषय का ज्ञान देना है। इसके अतिरिक्त तिथि, नक्षत्र, योग करण और वार आदि की मुहूर्त में उपयोगिता का ज्ञान देना है तथा ग्रहों के गोचर के आधार पर दैनिक, साप्ताहिक और मासिक भविष्यफल का ज्ञान कराना है।
अध्याय 1: सौर प्रणाली
  •   सौर प्रणाली।
  •   ग्रहों के खगोलीय तथ्य।
  •   आंतरिक और बाह्वय ग्रह।
  •   गौण और प्रधान युति।
  •   उपग्रह।
  •   पात बिन्दु।
  •   चंद्रमा के पात।
  •   नक्षत्रों का खगोलीय परिचय।
  •   रात्रि आकाश।
अध्याय 2: सौर
  •   सौर केन्द्रित और भूकेन्द्रित।
  •   विषुवत वृत्त।
  •   भूमध्य रेखा।
  •   झुकाव।
  •   अक्षांश रेखाएं एवं देशांतर रेखाएं।
  •   कर्क रेखा एवं मकर रेखा।
  •   शिरो बिन्दु एवं अधो बिन्दु।
  •   अन्य महत्वपूर्ण परिभाषाएं।
अध्याय 3: खगोलीय तथ्य
  •   क्रांति वृत्त और राशि चक्र।
  •   सूर्य का झुकाव।
  •   संपात।
  •   संक्रांति।
  •   उत्तरायण और दक्षिणायन का सिद्धान्त।
  •   ऋतुएं।
  •   संपात बिन्दु का खिसकना।
  •   चर और स्थिर राशियाँ।
  •   ग्रहों का वक्रत्व।
  •   ग्रहों का उदय-अस्त होना।
  •   सूर्य और चंद्रग्रहण।
अध्याय 4: पंचांग
  •   पंचांग परिचय।
  •   पंचांग का विश्लेषण।
  •   दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व।
  •   दिशाशूल।
  •   चौघç़डया।
  •   सप्ताह के दिन और वार।
अध्याय 4-ए : समय
  •   मध्याह्न रेखा।
  •   प्रधान मध्याह्न रेखा।
  •   मानक मध्याह्न रेखा।
  •   अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा।
  •   मानक समय।
  •   स्थानीय समय।
  •   सौर मास।
  •   चाँद मास।
अध्याय 5: गोचर
  •   गोचर परिचय।
  •   गोचर का आधार।
  •   शुभ-अशुभ ग्रहों का गोचर।
  •   फलकथन में गोचर का महत्व।
  •   वेध का सिद्धान्त।
चतुर्थ मॉडयूल  :
फलित ज्योतिष यह मॉडयूल ज्योतिष के फलित सूत्रों को सिखाने की आधारशिला है तथा वैदिक और पाश्चात्य ज्योतिष में अंतर को भी स्पष्ट करती है।
अध्याय 1 : भारतीय और पाश्चात्य ज्योतिष
  •   खगोलीय अंतर।
  •   दृष्टि।
  •   दशा और वर्ग कुण्डलियाँ।
  •   उपाय ज्योतिष और गुण मिलान।
  •   सूर्य राशि और चंद्र राशि।
अध्याय 1-ए : फलित की परिभाषा
अध्याय 2 : योग

  •   ग्रहों का परस्पर संबंध।
  •   बल।
  •   केन्द्र-त्रिकोण का महत्व।
  •   योगों में राहु-केतु की भूमिका।
  •   पंचमहापुरूष योग।
  •   सूर्य और चंद्रमा से बनने वाले योग।
  •   नाभस योग।
  •   राजयोग।
  •   अन्य महत्वपूर्ण योग।
  •   नीच भंग योग।
अध्याय 3 : फलकथन और गोचर
  •   चंद्र राशि से ग्रहों का गोचर।
  •   ग्रहों का गोचर में महत्व।
अध्याय 4 : जन्मपत्रिका के भावों का विश्लेषण
अध्याय 5: जन्मपत्रिका का विश्लेषण
पंचम मॉडयूल  :
फलित ज्योतिष - ढढ् इस मॉडयूल का उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रहों की स्थिति, उनकी युति, दृष्टि तथा परिवर्तन आदि के आधार पर फलकथन करना है। जन्मपत्रिका के बारह भावों, उसमें उपस्थित योगों, दशाएं तथा गोचरीय प्रभाव वर्ष परिस्थितियों का आंकलन कर उचित उपाय ही बताना है।
अध्याय 1 : फलकथन तकनीक
  • स्थिति, युति और दृष्टि।
  •   फलकथन और मनोविज्ञान।
अध्याय 2 : घटना का समय
  • महादशा और अन्र्तदशा के आधार पर घटना के समय का निर्धारण।
  • उदाहरण कुण्डलियाँ।
अध्याय 2-ए : वर्ग कुण्डलियों से फल कथन
  • वर्ग कुण्डलियों के नियम।
  • उदाहरण कुण्डलियाँ।
अध्याय 3 : अष्टक वर्ग
  •  विभिन्न भावों को बिन्दू वितरण प्रक्रिया।
  •  बिन्दुओं के आधार पर भाव बल।
  •  भावों के बिन्दुओं के आधार पर परिणाम।
  • तुलनात्मक विश्लेषण।
  • लाभ प्रधान।
  • अष्टक वर्ग और गोचर।
अध्याय 4 : गुण मिलान
  •   गुण मिलान की वैज्ञानिक व्याख्या।
  •   गुण मिलान का आधार।
  •   अष्टकूट और दशकूट मिलान।
  •   ल़डका और ल़डकी की जन्मपत्रिका का तुलनात्मक विश्लेषण।
  •   गुण मिलान और भ्रांत धारणाएं।
अध्याय 5: उपाय ज्योतिष
  •   कर्म सिद्धान्त।
  •  रत्नों का परिचय।
  •   प्रत्येक लग्न के लिए रत्न।
  •   यंत्र-मंत्र और अनुष्ठान का परिचय।
 

(You can send money by Demand Draft/Cheques Payable At Khaskhabar.com)

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team