वरूथिनि एकादशी आज - सुख-समृद्धि, पुण्य और ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए करें ये खास उपाय, जानें पूजा विधि और महत्व
Vastu Articles I Posted on 24-04-2025 ,07:09:33 I by:

आज वैशाख मास की कृष्ण पक्ष एकादशी है, जिसे वरुथिनि एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी न केवल भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष मानी जाती है, बल्कि घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए भी अत्यंत शुभ है।
स्कंद पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनि एकादशी सहित वर्ष भर की सभी एकादशियों का महत्व बताया है। इस दिन किया गया व्रत और दान विशेष फलदायी माना जाता है।
सुबह से शुरू करें पूजा, सूर्यास्त के बाद करें दीपदान
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन सुबह भगवान विष्णु और लक्ष्मी का अभिषेक करें। बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाएं और �कृं कृष्णाय नमः� मंत्र का 108 बार जप करें।
शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी की परिक्रमा करें और बिना स्पर्श किए उनकी पूजा करें। शालिग्राम के साथ तुलसी पूजन करें, उन्हें वस्त्र और फूल अर्पित करें। तुलसी माला से �ॐ श्री तुलस्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो वृंदा प्रचोदयात्� मंत्र का जाप करें।
शिव पूजा और गुरु ग्रह की शांति के लिए करें ये उपाय
इस दिन भगवान शिव का अभिषेक भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करें।
शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और मिश्री हो।
�ॐ नमः शिवाय� मंत्र का 108 बार जाप करें।
पीले फूलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
चूंकि इस बार एकादशी गुरुवार को पड़ रही है, इसलिए गुरु ग्रह की विशेष पूजा भी लाभकारी है। गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए चने की दाल, पीले वस्त्र या पीले फूल दान करें।
एकादशी पर करें पुण्य कार्य और दान
इस पावन तिथि पर जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े, भोजन, जूते-चप्पल का दान करना पुण्यकारी होता है।
गौशाला में गायों की सेवा करें, उन्हें हरा चारा खिलाएं।
तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां डालें।
व्रत विधि और पारण
जो लोग व्रत कर रहे हैं, उन्हें दिनभर निर्जल या फलाहार रहना चाहिए।
सुबह-शाम भगवान विष्णु की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
अगले दिन द्वादशी तिथि को प्रातःकाल स्नान कर फिर से विष्णु पूजा करें।
फिर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं, उसके बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें।
इस प्रकार वरुथिनि एकादशी व्रत पूर्ण होता है।
यह एकादशी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और कर्म शांति का भी अवसर है। इसलिए पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत और पूजन करें, ताकि जीवन में सदैव सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।