आज साल की आखिरी शनि अमावस्या, इन गलतियों से जरूर बचे

हिंदू पंचांग में अमावस्या तिथि को अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माना गया है। यह दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने और उनके लिए तर्पण-पिंडदान करने का शुभ अवसर होता है। साल 2025 की अंतिम अमावस्या विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह शनिवार को पड़ रही है। जब अमावस्या शनिवार को आती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है और इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन शुभ कर्मों का फल कई गुना मिलता है, वहीं यदि भूलवश गलत कार्य हो जाए तो उसका दुष्परिणाम भी अधिक गंभीर होता है। शनि अमावस्या का धार्मिक महत्व शनि अमावस्या का संबंध सीधे-सीधे शनि देव से होता है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इस दिन व्रत, पूजा और दान करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में तरक्की के अवसर खुलते हैं। साथ ही पितृदोष से मुक्ति पाने और पारिवारिक समृद्धि लाने के लिए यह दिन सर्वोत्तम माना गया है। इन गलतियों से बचें शास्त्रों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन कुछ कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए। �इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन-प्याज और मांसाहार से बचना चाहिए। �शराब और नशे का सेवन करना अशुभ माना गया है। �पैसों से संबंधित कोई लेन-देन नहीं करना चाहिए। न तो किसी को उधार दें और न ही खुद उधार लें। �सट्टेबाजी और जुए जैसी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। �बाल और नाखून काटना वर्जित माना गया है। �कुछ मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि आज के दिन तेल और नमक खरीदना टालना चाहिए। इन वर्जनाओं का पालन करने से शनि देव की कृपा मिलती है और जीवन में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है। दान का महत्व शनि अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिए। �काले तिल �काला कपड़ा �लोहे का सामान �सरसों का तेल इनका दान करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में तरक्की मिलती है। यह भी माना जाता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर किया गया दान कई जन्मों तक पुण्य प्रदान करता है। शनि की कृपा और जीवन पर प्रभाव अक्सर लोग शनि देव के नाम से भयभीत रहते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि यदि शनि ग्रह शुभ स्थिति में हों तो जीवन में उच्च पद और बड़ी उपलब्धियां दिला सकते हैं। शनि अमावस्या पर पूजा और दान करने से न केवल शनि दोष का निवारण होता है, बल्कि व्यक्ति का आत्मबल भी बढ़ता है। यही कारण है कि इस दिन नियमपूर्वक पूजा-पाठ और दान अवश्य करना चाहिए। साल की अंतिम शनि अमावस्या केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि जीवन की दिशा बदलने वाले दिन के रूप में भी जानी जाती है। इस दिन की गई साधना और दान जहां शनि दोष को दूर करते हैं, वहीं पितरों की कृपा भी दिलाते हैं। लेकिन इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि व्यक्ति अमावस्या पर वर्जित कार्यों से बचे और शुद्ध मन से शुभ कर्म करे।

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