साल का अंतिम ब़डा मंगल आज, हनुमान कृपा पाने के लिए करें ये सरल उपाय
Vastu Articles I Posted on 10-06-2025 ,05:50:24 I by:

साल 2025 का अंतिम बड़ा मंगल 10 जून को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में बड़ा मंगल, जिसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है, विशेष रूप से हनुमान भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का पर्व होता है। इस दिन को धार्मिक दृष्टि से काफी शुभ माना जाता है, और हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और उपायों से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हनुमान जी की कृपा पाने के खास उपाय
बड़ा मंगल केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वर-समर्पण का अवसर है। इस विशेष दिन पर कुछ सरल लेकिन प्रभावशाली उपायों को अपनाकर भक्त हनुमान जी की विशेष कृपा पा सकते हैं
कलावा और सिंदूर से करें शुभ शुरुआत
मंगलवार को हनुमान मंदिर जाएं और एक कलावा उनके चरणों में अर्पित करें। उनके चरणों से सिंदूर लेकर अपने माथे पर तिलक करें। फिर उसी कलावे के कुछ धागे अपनी कलाई पर बांध लें। यह बाधाओं को दूर करने और कार्यों में सफलता लाने में सहायक होता है।
चमेली के फूलों की माला अर्पित करें
चमेली के फूलों की माला बनाकर बजरंगबली को अर्पित करें। उनके सामने धूपबत्ती जलाएं और ध्यानपूर्वक सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। यह पूजा मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द बढ़ाने में मदद करती है।
पान और लड्डुओं का भोग लगाएं
पूजा के बाद हनुमान जी को पान का बीड़ा और बूंदी या बेसन के लड्डू चढ़ाएं। यह उपाय विशेष रूप से नौकरी और करियर से जुड़ी रुकावटों को दूर करने में सहायक माना गया है।
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें
बड़े मंगल के दिन सात बार हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। ऐसा करने से जीवन में आने वाले संकटों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
ध्वज और नारियल का अर्पण
हनुमान मंदिर में जाकर एक नारियल अर्पित करें और लाल रंग का ध्वज चढ़ाएं। यह उपाय मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में स्थायित्व लाने वाला माना गया है।
पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यता
मान्यता है कि त्रेतायुग में इसी दिन हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम से पहली बार भेंट की थी। साथ ही, भीम की कथा में हनुमान जी ने बूढ़े वानर का रूप लेकर उनका अहंकार तोड़ा था। इसी वजह से इसे बुढ़वा मंगल कहा जाता है। यह दिन भक्ति, सेवा और विनम्रता का प्रतीक है।
नोट: यह सभी उपाय धार्मिक मान्यताओं और आस्था पर आधारित हैं। इनका उद्देश्य भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करना है। इनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, अतः इन्हें श्रद्धा के साथ अपनाएं।