ज्येष्ठ मास की चतुर्थी आज, करने चाहिए यह काम

आज ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इस महीने जल बचाने की परंपरा है, क्योंकि अत्यधिक गर्मी की वजह से नदी, तालाब, कुएं इत्यादि में पानी की कमी हो जाती है। पानी बचाने की सीख ज्येष्ठ मास देता है। चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। ज्येष्ठ महीने का महत्व काफी अधिक है।

भगवान शिव को चढ़ाएँ शमी के पत्ते
शिव पूजा में आमतौर पर बिल्व पत्रों का खासतौर पर किया जाता है, लेकिन बिल्व के साथ ही शमी के पत्ते भी भगवान को चढ़ाना चाहिए। शमी के पत्ते शिव जी, गणेश जी और शनि देव को चढ़ाए जाते हैं। आंकड़े के फूल, गुलाब, धतूरा, जनेऊ, चावल भी चढ़ाएं। चंदन का तिलक लगाएं। शिवलिंग को फूलों से सजाएं। मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शिव जी के साथ ही देवी पार्वती का जल की पतली धारा से अभिषेक करना चाहिए।

धर्माचार्यों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चतुर्थी व्रत घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। सोमवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही शिव जी और देवी पार्वती का अभिषेक भी जरूर करना चाहिए। आइए डालते हैं एक नजर चतुर्थी पर किए जाने वाले शुभ कार्यों पर—

गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें भगवान गणेश जी को चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं।

श्री गणेशाय नम मंत्र का जप करते हुए पूजा करें। गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन कर सकते हैं।

गणेश जी के 12 नाम मंत्रों का जप भी करना चाहिए। जप कम से कम 108 बार करें। ये हैं 12 नाम मंत्र - ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।

गणेश पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें और खुद भी लें। गणेश जी से दुख दूर करने की प्रार्थना करें।

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