गुप्त नवरात्र में तिलकुंड चतुर्थी, साथ में बुधवार का योग, पूजा से दूर होंगे कुंडली के दोष
Astrology Articles I Posted on 25-01-2023 ,08:04:23 I by:
अभी माघ मास के गुप्त नवरात्र चल रहे हैं। इन नौ दिनों में माँ देवी की पूजा आराधना गुप्त तरीके से की जाती है। इन नवरात्रों में वर्ष 2023 जनवरी 25 दिन बुधवार को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे तिलकुंड चतुर्थी कहा जाता है। देवी दुर्गा के महापर्व, तिलकुंड चतुर्थी और बुधवार के योग में गणेश जी, देवी मां और बुध ग्रह की पूजा जरूर करें। ऐसा करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर हो सकते हैं।
तिलकुंड चतुर्थी पर करें तिल से जुड़े शुभ काम
तिलकुंड चतुर्थी पर तिल का दान करना चाहिए। गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू का भोग लगाएं। इस दिन तिल से हवन कर सकते हैं। खाने में तिल का सेवन करें। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा में तिल-गुड़ का भोग लगाना चाहिए।
ज्योतिषियों और धर्माचार्यों के अनुसार बुधवार का कारक ग्रह बुध है। ज्योतिष में बुध को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है, जो मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति बुद्धि, पढ़ाई-लिखाई से संबंधित कामों में खास लाभ मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें दिमाग से जुड़े कामों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बुध ग्रह के दोष दूर करने के लिए बुधवार को गणेश जी के साथ ही इस ग्रह की पूजा करनी चाहिए।
तिलकुंड चतुर्थी पर दिनभर निराहार रहकर व्रत किया जाता है यानी पूरे दिन अन्न का त्याग करना होता है। इस दिन गणेश जी की और शाम को चंद्र की पूजा खासतौर पर की जाती है। चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें। स्नान के बाद गणेश जी की प्रतिमा का जल से अभिषेक करें। गणेश जी को जनेऊ पहनाएं, वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल से श्रृंगार करें। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चीजें चढ़ाएं।
गणेश मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हुए दूर्वा की 21 गांठ भगवान को चढ़ाएं। लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें।
बुधवार और चतुर्थी के योग में बुध ग्रह की विशेष पूजा करें। हरे मूंग का दान करें। पूजा में बुध के मंत्र ऊँ बुं बुधाय नम: का जाप 108 बार करें।