रूद्राक्ष पहनने से पहले बरतें यह सावधानियाँ, इन लोगों को नहीं पहनना चाहिए रूद्राक्ष

रुद्राक्ष भगवान शिव को बेहद प्रिय है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भोलेनाथ के प्रतीक के रूप में पूजा गया है। मान्यता के अनुसार, रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से बना है, इसलिए सृष्टि में इससे ज्यादा पवित्र और कुछ भी नहीं। रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से होने के कारण यह हमारी आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है। रुद्राक्ष धारण करने वाले लोगों पर भगवान शिव अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं, इसलिए ज्यादातर शिव भक्त रुद्राक्ष धारण करते हैं। रुद्राक्ष से ना सिर्फ धार्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभ भी देता है। अल्टरनेटिव थेरेपी में भी इन दिनों रुद्राक्ष थेरेपी बहुत लोकप्रिय हो रही है।
एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए गए हैं। रुद्राक्ष की महिमा रुद्राक्ष एक पेड़ के फल की गुठली है। रुद्राक्ष का औषधीय और आध्यात्मिक महत्व भी होता है। इसको धारण करने से जीवन को विशेष तरह के फल प्राप्त होते हैं।
माना जाता है कि रुद्राक्ष अकाल मृत्यु और शत्रु बाधा से रक्षा करता है। कुल मिलाकर चौदह मुखी रुद्राक्ष होते हैं। इन चौदह रुद्राक्ष के अलावा गौरी शंकर और गणेश रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं।

रुद्राक्ष पहनने की सावधानियाँ
रुद्राक्ष को लाल धागे या पीले धागे में पहनें। साथ ही रुद्राक्ष को पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को पहनना श्रेष्ठ माना जाता है।

सावन के इस महीने में रुद्राक्ष किसी भी दिन पहना जा सकता है क्योंकि सावन हर दिन शुभ माना जाता है।

रुद्राक्ष 1, 27, 54 और 108 की संख्या में धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने के बाद सात्विकता का पालन करना चाहिए।

रुद्राक्ष को धातु के साथ धारण करना और भी अच्छा होता है। दूसरे की धारण की हुण रुद्राक्ष की माला धारण ना करें। साथ ही सोते समय भी रुद्राक्ष उतार देना चाहिए।

रुद्राक्ष की श्रेणियांरुद्राक्ष आकार के अनुसार 3 तरह के होते हैं। जो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर होते हैं, उन्हें सबसे उत्तम माना गया है। जिस रुद्राक्ष का आकार बेर के समान होता है, वह मध्यम फल देने वाला माना गया है। चने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी में गिना जाता है।

ऐसे रुद्राक्ष न पहनें जिस रुद्राक्ष को कीड़ों ने खराब कर दिया हो या टूटा-फूटा हो, या पूरा गोल न हो। जिसमें उभरे हुए दाने न हों, ऐसा रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो गया हो, वह सबसे अच्छा रहता है।

रुद्राक्ष धारण करने का फायदे

—इसे धारण करने से शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं.
—ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों को रुद्राक्ष पहनने के कई लाभ, ये बात वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं. —रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा रहती है और जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
—रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही वो भाग्य भी साथ देता है.

इन लोगों को धारण नहीं करना चाहिए रुद्राक्ष
गर्भवती स्त्री हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि किसी स्त्री को रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी गई है तो बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल समाप्त होने तक उसे रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को जहां नवजात शिशु और उसकी मां हो, उस स्थान पर प्रवेश नहीं करना चाहिए। अगर किन्ही कारणों से उसे वहां जाना भी पड़े तो पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।

मांसाहार का सेवन करने वाले व्यक्ति मांसाहार करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से पहले धूम्रपान और मांसाहार भोजन से दूरी बना लेना ही उचित है। ऐसा माना जाता है कि मांसाहार करने से रुद्राक्ष अशुद्ध होता है, जिसके कारण भविष्य में कष्ट उठाने पड़ सकते हैं।

सोते समय नहीं करें रुद्राक्ष धारण सोते समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए, सोने से पहले उतार कर अपने तकिए के नीचे रख सकते हैं। ऐसा करने से आपको बुरे सपने नहीं आएंगे।

श्मशान घाट में रुद्राक्ष पहनकर न जाएं श्मशान घाट पर रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए. इसे शुभ नहीं माना जाता है।

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