सूर्य का राशि परिवर्तन, वृष से मिथुन में पहुँचे, 33 दिन रहेंगे यहाँ

आज (गुरुवार, 15 जून) मिथुन संक्रांति है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। गुरुवार 15 जून को सूर्य वृष राशि से मिथुन राशि मेंआएगा और 33 दिन तक अर्थात 17 जुलाई तक इसी राशि में रहेगा।

शास्त्रों में संक्रांति को भी पर्व माना गया है। सूर्य जब-जब राशि परिवर्तन करता है तब-तब संक्रांति पर्व मनाया जाता है।

आइए डालते हैं एक नजर आज के पंचांग पर—

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि समाप्त- 15 जून सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 15 जून सुबह 08 बजकर 32 मिनट से

भरणी नक्षत्र- 15 जून दोपहर 02 बजकर 12 मिनट तक

सुकर्मा योग- 16 जून रात्रि 02 बजकर 03 मिनट तक

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 02 मिनट से सुबह 04 बजकर 43 मिनट तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से दोपहर 03 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 07 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 39 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल- दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से दोपहर 03 बजकर 51 मिनट तक

गुलिक काल- सुबह 08 बजकर 52 मिनट से सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक

दिशा शूल- दक्षिण

सूर्योदय- सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सूर्यास्त- शाम 07 बजकर 20 मिनट पर

चंद्रोदय- 16 जून प्रातः 03 बजकर 36 मिनट से चन्द्रास्त- 16 जून शाम 04 बजकर 51 मिनट तक

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार संक्रांति पर सूर्य पूजा के साथ ही दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस पर्व पर सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद उगते सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा। जल चढ़ाने के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।


ऐसे
मना सकते हैं मिथुन संक्रांति
मान्यता है कि संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। इसी वजह से गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। नदी में स्नान के बाद वहीं से सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। घर पर हैं तो तांबे के लोटे में जल, चावल, कुमकुम डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। सूर्य पूजा के बाद गुड़, तांबे के बर्तनों का दान कर सकते हैं। इन चीजों के साथ ही धन, कपड़े, अनाज, जूते-चप्पल का दान कर सकते हैं।

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