फाल्गुन में तीन स्वरूपों में पूजे जाते हैं श्रीकृष्ण, यह रहेगा होलिका दहन का शुभ मुर्हूत

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होने के कारण इसका नाम फाल्गुन है। फाल्गुन मास में ही शिव भक्तों का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि मनाया जाता है। वहीं इसी माह में श्रीकृष्ण की उपासना के लिए फुलेरा दूज का पर्व मनाने का विधान है जिसमें राधा-कृष्ण फूलों की होली खेलते हैं।

फाल्गुन महीने में श्री कृष्ण की उपासना तीन रूपों में होती है, जिसमें बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण शामिल हैं। बाल कृष्ण की पूजा संतान के लिए उत्तम मानी गई है। वहीं प्रेम और आनंद के लिए युवा कृष्ण की उपासना करें। इसके अलावा गुरु कृष्ण की आराधना करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है।

फाल्गुन में चंद्र देव की पूजा का महत्व
भगवान शिव को चंद्र का देवता माना गया है। शिवशंकर ने उन्हें अपने सिर पर धारण किया हुआ था। फाल्गुन में चंद्र देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, सौंदर्य, प्रेम, सम्मान और पारिवारिक सुख और शांति का वरदान मिलता है। चंद्रमा मन के कारक हैं, कुंडली में अगर चंद्रमा प्रतिकूल प्रभाव दे रहे हैं तो व्यक्ति मानसिक तनाव से घिरा रहता है और अक्सर मां की सेहत को लेकर चिंतित होता है। फाल्गुन के महीने में चंद्रमा की उपासना से कुंडली में चंद्र दोष को दूर किया जा सकता है।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसी के कारण इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

इस साल 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

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