श्रेष्ठ भोग और मोक्ष के लिए रमा एकादशी, समस्त देवी-देवताओं की पूजा का अवसर गोवत्स द्वादशी

रमा एकादशी - 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार पारण का समय - 06:34 एएम से 08:53 एएम, 18 अक्टूबर 2025 पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 12:18 पीएम एकादशी तिथि प्रारम्भ - 16 अक्टूबर 2025 को 10:35 एएम बजे एकादशी तिथि समाप्त - 17 अक्टूबर 2025 को 11:12 एएम बजे मुंबई। दीपावली के पहले आने वाली एकादशी देवी लक्ष्मी के नाम पर- रमा एकादशी कहलाती है। एकादशी का व्रत भगवान श्रीविष्णु के शुभ आशीर्वाद के लिए किया जाता है। रमा एकादशी दिन भगवान श्रीविष्णु के पूर्णावतार श्रीकृष्ण के केशव स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान केशव का पूजन कर, नैवेद्य अर्पित कर, आरती कर, प्रसाद वितरण करते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से जीवन में श्रेष्ठ भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी की अनेक कथाएं है जिनका उद्देश्य इस एकादशी का महत्व दर्शाना है इसलिए स्थानीय स्तर पर प्रचलित कथा सुने लेकिन मूल कर्म- व्रत और सच्चे मन से श्रीविष्णु आराधना है। गोवत्स द्वादशी - 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त - 06:07 पीएम से 08:36 पीएम * द्वादशी तिथि प्रारम्भ - 17 अक्टूबर 2025 को 11:12 एएम बजे द्वादशी तिथि समाप्त - 18 अक्टूबर 2025 को 12:18 पीएम बजे गोवत्स द्वादशी के अवसर पर गौमाता और उसके बछड़े का दर्शन और पूजन करना शुभ माना जाता है। धर्मधारण है कि... इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद पहली बार यशोदा मैया ने गौमाता का दर्शन और पूजन किया था। गोवत्स द्वादशी को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग कथाएं और मान्यताएं हैं लेकिन मूल उद्देश्य गाय-बछड़े की पूजा है इसलिए सच्चे मन से गाय-बछड़े की सेवा-पूजा करें और समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करें। पूजा के पश्चात गौमाता के चरणों की धूल माथे पर लगाएं और परिवार की सुख-समृद्धि-सफलता के लिए प्रार्थना करें। इस दिन गाय के दूध के सेवन से बचें! -प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 6367472963)

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