पितृ पक्ष 2025- तीन शुभ मुहूतों� में करें नवमी श्राद्ध
Vastu Articles I Posted on 15-09-2025 ,06:09:51 I by:

पितृपक्ष के नौवें दिन का विशेष महत्व माना गया है, जिसे नवमी श्राद्ध या अविधवा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आज का दिन उन सभी दिवंगत मातृ स्वरूप महिला पूर्वजों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है, जिनका देहावसान नवमी तिथि को हुआ हो। यह तिथि विशेष रूप से माताओं, दादियों, नानियों, बहनों और अन्य महिला आत्माओं की शांति और संतुष्टि के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर सूक्ष्म रूप में धरती पर आकर अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध और तर्पण को ग्रहण करते हैं। परंपरा के अनुसार, केवल तीन पीढ़ियों � पिता, पितामह और प्रपितामह � के लिए पिंडदान और तर्पण करना विधिपूर्वक स्वीकार्य होता है। हालांकि, परिवार की अन्य दिवंगत आत्माओं के लिए भी श्रद्धा और भावना से किया गया तर्पण पुण्यदायक होता है।
आज नवमी श्राद्ध के लिए दिन में तीन विशेष मुहूर्त माने गए हैं। पहला कुतुप मुहूर्त दोपहर से पहले का समय होता है, जब वातावरण में विशेष शुद्धता होती है। इसके बाद रौहिण मुहूर्त आता है, जो श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। अंतिम और सबसे व्यापक समय अपराह्न काल होता है, जिसमें तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
इस दिन श्राद्ध कर्म करते समय दिवंगत आत्मा का नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए, हाथ में कुश की पैंती धारण की जाती है। काले तिल मिले जल से तर्पण किया जाता है, जिसे अत्यंत पवित्र माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक तिल का दान करोड़ों स्वर्णदान के बराबर फलदायी होता है। परंपरा में यह भी वर्णित है कि यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, तो स्त्रियां भी श्राद्धकर्म कर सकती हैं। जिन घरों में पुरुष सदस्य हैं, वहाँ पर सामान्यतः ज्येष्ठ पुत्र द्वारा यह कर्तव्य निभाया जाता है।
सन्यास धारण कर चुके व्यक्ति जीवनकाल में ही अपना श्राद्ध स्वयं करते हैं, जिससे आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। वहीं, यह भी मान्यता है कि परिवार का अंतिम पुरुष सदस्य अपने जीवनकाल में श्राद्ध करने के लिए स्वतंत्र होता है।
श्राद्ध की यह परंपरा केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक श्रद्धा और पारिवारिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है। आज नवमी के दिन श्रद्धा के साथ किया गया तर्पण दिवंगत मातृ शक्तियों की आत्मा को संतोष, तृप्ति और सद्गति प्रदान करता है।