पापकर्म पर विराम लगानेवाली पापांकुशा एकादशी

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी * पापांकुशा एकादशी - 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार * पारण का समय - 06:28 से 08:50, 4 अक्टूबर 2025 * पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 05:09 पीएम * एकादशी तिथि प्रारम्भ - 2 अक्टूबर 2025 को 07:10 पीएम बजे * एकादशी तिथि समाप्त - 3 अक्टूबर 2025 को 06:32 पीएम बजे भगवान श्रीविष्णु की प्रसन्नता और आशीर्वाद के लिए एकादशी का विशेष महत्व है। पापांकुशा एकादशी पर भगवान- पद्मनाभ, की पूजा की जाती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, जिस तरह हाथी को अंकुश से नियंत्रित किया जाता है वैसे ही पापकर्म को नियंत्रित करती है यह एकादशी। इस एकादशी की लोकप्रिय कथा इस प्रकार है... प्राचीन समय में क्रोधन बहेलिया था जो बेहद क्रूर स्वभाव का था और उसकी सारी जिंदगी पापकर्म में डूबी थी। जब उसका अंतिम समय आया तो वह बहुत घबराया और ऋषि अंगिरा की शरण में उनके आश्रम जा पहुंचा। ऋषि अंगिरा ने उसे सच्चे दिल से क्षमा प्रार्थना करते हुए पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से उसके जीवन में पाप कर्म पर विराम लगा और मौत के पश्चात वह श्रीविष्णुलोक पहुंचा। इस एकादशी के अवसर पर जाने/अनजाने हुए पापों के लिए क्षमा मांगे तथा भविष्य में पापकर्म नहीं करने का संकल्प लें, भगवान श्रीविष्णुदेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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