Vastu Articles I Posted on 27-10-2025 ,06:41:52 I by:
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी का पर्व 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योगनिद्रा से जागते हैं। इस अवधि को �चातुर्मास� कहा जाता है, जिसमें विवाह, गृहप्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। जैसे ही देवउठनी एकादशी आती है, वैसे ही शुभ कार्यों का पुनः शुभारंभ हो जाता है।
देवउठनी के साथ ही शादी-ब्याह के सीजन की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से ही विवाह संस्कार के लिए मांगलिक मुहूर्तों की शुरुआत होती है और देशभर में घरों में शुभ कार्यों का वातावरण बनता है।
नवंबर 2025 में विवाह के लिए शुभ तिथियां
नवंबर का महीना विवाह संस्कार के लिए अत्यंत मंगलकारी रहेगा। इस महीने में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति विवाह के लिए अनुकूल रहेगी। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, नीचे दी गई तिथियों पर विवाह संपन्न कराना शुभ फलदायी रहेगा।
शुभ विवाह तिथियां � नवंबर 2025:
2 नवंबर,
3 नवंबर,
5 नवंबर,
8 नवंबर,
12 नवंबर,
13 नवंबर,
16 नवंबर,
17 नवंबर,
18 नवंबर,
21 नवंबर,
22 नवंबर,
23 नवंबर,
25 नवंबर और
30 नवंबर।
इन तिथियों पर विवाह करने से वैवाहिक जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
दिसंबर 2025 में विवाह के लिए शुभ तिथियां
दिसंबर 2025 में विवाह के मुहूर्त सीमित रहेंगे। इसका प्रमुख कारण है � सूर्य का धनु राशि में गोचर, जिससे खरमास की शुरुआत होती है। इस काल में सूर्य की ऊर्जा और प्रभाव कम माना जाता है, और शास्त्रों में इस अवधि में विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को वर्जित बताया गया है।
इस कारण 15 दिसंबर 2025 के बाद विवाह करना शुभ नहीं माना जाता। अतः 15 दिसंबर से पहले की तिथियों में विवाह करना श्रेष्ठ रहेगा।
शुभ विवाह तिथियां � दिसंबर 2025:
4 दिसंबर
5 दिसंबर और
6 दिसंबर।
इन तीनों तिथियों में ग्रह-नक्षत्र अनुकूल रहेंगे और विवाह समारोह संपन्न करने से वैवाहिक जीवन में सुख और स्थायित्व की प्राप्ति होगी।
देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
देवउठनी एकादशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीनों की योगनिद्रा से जागते हैं। इस अवसर पर व्रत-पूजन करने और तुलसी विवाह करने का विशेष महत्व है। इसी दिन से पूरे भारत में विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण और मुंडन जैसे शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं।
विवाह मुहूर्त का ज्योतिषीय आधार
विवाह के लिए मुहूर्त तय करने में पंचांग, ग्रह स्थिति, नक्षत्र, लग्न और चंद्र की दशा का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि विवाह शुभ मुहूर्त में संपन्न किया जाए तो दांपत्य जीवन में स्थायित्व, प्रेम और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
Disclaimer: यह लेख धार्मिक आस्था, परंपराओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह जानकारी केवल सामान्य धार्मिक परिप्रेक्ष्य में दी गई है, किसी प्रकार की व्यक्तिगत सलाह के रूप में नहीं।