सनातन सिद्धांत है कि विजय हमेशा सत्य की ही होती : साध्वी विश्वेश्वरी देवी

उदयपुर। धर्मिक सत्संग समिति के तत्वावधान में अम्बापोल स्थित पुष्प वाटिका में चल रही 9 दिवसीय श्रीराम कथा का अपार श्रद्धा एवं भक्ति के साथ राममयी वातारण में समापन हुआ।
कथावाचक साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने राम कथा के अंतिम दिन प्रसंगवश कहा कि सुंदरकांड के प्रारम्भ में ही हनुमानजी के दिव्य और विराट स्वरूप के दर्शन होते हैं, जो उन्होंने रामकाज के लिए हनुमान जी ने धारण किया। हनुमान जी का सम्पूर्ण जीवन रामकार्याे के लिए ही समर्पित रहा। इस कलयुग में तो हनुमान जी के दर्शन सबसे बड़े वंदनीय माने जाते हैं। इस संसार में हनुमान जी से बड़ा स्वामी भक्त, प्रभु भक्त ना कभी कोई हुआ है ओर ना ही होगा।
साध्वीजी ने कथा सुनाते हुए कहा कि घने और विशालकाय वनों को पार करते हुए हनुमान जी अभेद्य सुरक्षा चक्र को तोड़ते हुए लंका में पहुंचे। यहाँ विभीषण से मिलकर माता जानकी जी का पता लेकर हनुमान जी अशोक वाटिका में आए और माता सीताजी के दर्शन किए। हनुमानजी के इन कार्यों से यह सन्देश मिलता है कि अगर आपके भाव सच्चे हों तो विपरीत परिस्थितियों में भी भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
उसके बाद हनुमानजी ने जानकी जी को भगवान का संदेश देकर, लंका दहन कर भगवान राम के पास वापस आए। तत्पश्चात भगवान सेना सहित लंका में पहुंचे। वहां राम-रावण युद्ध हुआ और प्रभुश्री राम के हाथों रावण का वध हुआ। वह युद्ध धर्म-अधर्म सत्य-असत्य का युद्ध था। भगवान को विजयश्री प्राप्त हुई। क्योंकि यह सनातन सिद्धांत है कि विजय हमेशा सत्य की ही होती है।
उसके पश्चात भगवान लौटकर अयोध्या में आए। जहां भगवान का राजतिलक किया गया। रामराज्य दोषों, दुर्गुणों, दुरूख दर्दाें आदि को मिटाकर सुखी एवं समृद्ध जीवन की आशा से परिपूर्ण है। रामजी के राज्याभिषेक में राजाओं, महाराजाओं के साथ सम्पूर्ण अयोध्यावासी एवं हजारों नर-नारी भक्तजन सम्मिलित हुए। सभी ने सुखी एवं समृद्धि राष्ट्र की कामना करते हुए एक दूसरे को बधाई दी। श्रीराम राजतिलक के साथ ही श्रीरामकथा का विराम हुआ।
साध्वी जी ने कहाकि राम कथा का जो सार है उसके साक्षात दर्शन हनुमान जी की आंखों में कर सकते हैं। भक्ति और शक्ति का भंडार है प्रभु श्री राम जी की कथा। जीवन में मर्यादा की संजीवनी का काम करती है प्रभु श्री राम की कथा। जो राम जी की भक्ति करता है, जो राम जी को अपने जीवन में धारण कर लेता है, ओर अपना जीवन राममयी बना देता है उसके जीवन में कभी भी दुख दर्द और परेशनियां नहीं आती है। राम का नाम ही उद्धार का कारक है।
समिति के अध्यक्ष अनिल शर्मा एवं कमलेश पारीक ने बताया कि 9 दिवसीय प्रभु श्री राम की कथा के अंतिम दिन क्षेत्रवासियों के साथ ही आसपास की कॉलोनियों से भी राम भक्त श्रद्धालु पहुंचे। अंतिम दिन राम भक्तों में इतना उत्साह था कि तथा श्री राम कथा समाप्ति के पश्चात भी कई देर तक राम भक्त श्रद्धालु पांडाल में बैठकर राममयी होकर ऐसा अहसास कर रहे थे मानो प्रभु श्री राम, माता जानकी एवं बजरंगबली साक्षात उन्हें दर्शन दे रहे हैं।
ऐसा लग रहा था यह कथा पंडाल नहीं होकर साक्षात अयोध्या नगरी है। राम भजनों के साथ शायद ही कथा पंडाल में कोई ऐसा हो जिन्होंने प्रभु भक्ति में लीन होकर भक्ति नृत्य नहीं किया या अपने आप को राम भक्ति में समर्पित नहीं किया हो। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को नौ दिवसीय प्रभुश्री रामकथा का भक्ति श्रद्धा और उल्लास के साथ आनंदमयी विराम हुआ।

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