इंदिरा एकादशी 2025- पितरों की मुक्ति के लिए श्रेष्ठ दिन, जानें तिथि, योग और उपाय
Vastu Articles I Posted on 16-09-2025 ,06:43:49 I by:

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को विशेष पुण्यदायिनी माना गया है। हर माह दो एकादशियां आती हैं � एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है, जो पितृ पक्ष के दौरान आती है। यह तिथि विशेष रूप से पितरों की तृप्ति और उनके मोक्ष के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इंदिरा एकादशी कब है
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर की रात 12:21 बजे हो रही है और इसका समापन 17 सितंबर की रात 11:39 बजे होगा। चूंकि एकादशी तिथि का व्रत उदयातिथि (सूर्योदय के समय जो तिथि होती है) पर किया जाता है, इसलिए इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा।
इस बार की इंदिरा एकादशी पर गौरी योग, शिव योग और परिघ योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे यह दिन और भी अधिक फलदायी हो गया है। साथ ही चंद्रमा कर्क राशि में होने से वह अपनी स्वराशि में रहेगा, जिससे गौरी योग का निर्माण होगा। वहीं त्रिग्रही योग (शनि, बुध और एक अन्य ग्रह की युति) का विशेष ज्योतिषीय प्रभाव भी इस दिन बना रहेगा।
धार्मिक मान्यताएं और महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी पर व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके आशीर्वाद से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इस दिन व्रत, दान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करना विशेष फलदायी माना गया है।
इंदिरा एकादशी के शुभ उपाय
�इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। इससे मानसिक शुद्धता और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
�जरूरतमंदों, ब्राह्मणों या गरीबों को तिल, गुड़, फल, अनाज, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें। यह पितृपक्ष में विशेष पुण्यदायी माना गया है।
�संध्या समय पीपल के वृक्ष के नीचे या नदी किनारे घी का दीपक जलाएं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और वंश की वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
�यदि जीवन में दुख-संकट चल रहा हो तो इस दिन महादेव की पूजा करें और शिवलिंग पर 21 बेलपत्र चढ़ाएं। यह उपाय मानसिक शांति और बाधा निवारण में सहायक होता है।
इंदिरा एकादशी न केवल पितृ तृप्ति का अवसर है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी खोलती है। संयम, श्रद्धा और सेवा की भावना के साथ किया गया व्रत न केवल पूर्वजों को मोक्ष देता है, बल्कि जीवित परिजनों के जीवन में भी सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है।