आज से शुरू होगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, की जाएगी माँ की दस महाविद्याओं की साधना

आज से गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई है। इस नवरात्रि में देवी मां की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। स्नान-दान की अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान करें। शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाकर अभिषेक करें। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। घर के आसपास दान-पुण्य करें। किसी गाय को हरी घास खिलाएं या किसी गोशाला में गायों की देखभाल के धन का दान करें।

आज से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। देवी पूजा का ये पर्व 27 जून तक रहेगा। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं की कृपा पाने के लिए साधना की जाती है। हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त रहती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की महाविद्याओं के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं। नवरात्रि का संबंध ऋतुओं से है। जब दो ऋतुओं का संधिकाल रहता है, उस समय देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। संधिकाल यानी एक ऋतु के खत्म होने का और दूसरी ऋतु के शुरू होने का समय। चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है। माघ मास की नवरात्रि के समय शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु शुरू होती है।

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