Vastu Articles I Posted on 29-10-2025 ,06:38:52 I by:
गोपाष्टमी - 30 अक्टूबर 2025
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 29 अक्टूबर 2025 को 09:23 एएम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - 30 अक्टूबर 2025 को 10:06 एएम बजे
मुंबई। गौरक्षा के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण... गोविन्द कहलाए, धर्मधारणा के अनुसार... कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से सप्तमी तक.. गो, गोप और गोपियों की सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। अष्टमी के दिन देवराज इन्द्र अहंकार मुक्त होकर भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आये।
इस अवसर पर कामधेनु ने भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और तब से भगवान श्रीकृष्ण... गोविन्द कहलाए। इसीलिए गोविंद के सम्मान में गौ-नवरात्रि में कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय गौ माताओं की सेवा-पूजा की जाती है।
इस दिन प्रात:काल गौमाताओं को पवित्र स्नान करा कर गंध, धूप, पुष्पादि से पूजा-अर्चना करते हैं। गौ माताओं को वस्त्राभूषणों से अलंकृत करके ग्वालों का पूजन, गो-ग्रास, यज्ञ-हवन, गौ-आरती, दान-पुण्य, शोभायात्रा आदि विविध धार्मिक आयोजन होते हैं। इस अवसर पर गौ-प्रदक्षिणा करते हैं तथा सायंकाल घर वापसी पर गौ पूजा करके उनका स्वागत करते हैं... उन्हें भोजन प्रदान करते हैं एवं उनकी चरण रज को माथे पर धारण करते हैं। इस दिन गौ-सेवा से जीवन धन्य हो जाता है और जीवन की हर मनोकामना पूरी होती है।
धर्मधारणा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पहाड़ी को अपनी सबसे छोटी अंगुली कनिष्ठा पर उठा लिया था. ब्रजक्षेत्र में सात दिनों की अविश्वसनीय बाढ़ के बाद भगवान इंद्र ने गोपाष्टमी पर अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
याद रहे, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को भगवान इंद्र को दी जाने वाली वार्षिक भेंट को रोकने का सुझाव दिया था, जिससे इंद्र नाराज हो गए और उन्होंने ब्रजक्षेत्र में मूसलाधार बरसात की थी, लेकिन भगवान इंद्र अपने अभियान में असफल रहे, क्योंकि ब्रजवासी और उनका पशुधन गोवर्धन पहाड़ी के विशाल आवरण के नीचे सुरक्षित था।
गोपाष्टमी अवसर पर श्रीकृष्ण ने कनिष्ठा अंगुली के माध्यम से एक विशेष ज्ञान भी दिया है कि बुद्धि का प्रतिनिधित्व करने वाली कनिष्ठा अंगुली का उपयोग किया जाए, अर्थात- बुद्धि का उपयोग किया जाए तो बड़ी-से-बड़ी समस्या का सामना किया जा सकता है, बुद्धिबल से विशाल पहाड़ भी उठाया जा सकता है।
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8875863494)