दुर्लभ ज्योतिषीय योग में गणेश चतुर्थी 2025- जानें मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पर्व का महत्व
Vastu Articles I Posted on 26-08-2025 ,06:58:45 I by:

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व इस वर्ष 27 अगस्त 2025 को विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इसी दिन गणपति बप्पा का प्राकट्य हुआ था, और तभी से यह पर्व विघ्नहर्ता श्री गणेश की उपासना के रूप में देशभर में मनाया जाता है। इस बार की गणेश चतुर्थी ज्योतिषीय दृष्टि से भी असाधारण है क्योंकि इस दिन अनेक शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व की पवित्रता और प्रभाव को और भी गहरा बनाता है।
गणेश चतुर्थी तिथि और महत्व
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 बजे से प्रारंभ होकर 27 अगस्त 2025 को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। हालांकि, पर्व का मुख्य आयोजन 27 अगस्त को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा से समस्त बाधाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों, कार्यालयों और मंदिरों में गणपति की प्रतिमा स्थापित कर दस दिनों तक विधिपूर्वक पूजन-अर्चन करते हैं।
मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष गणेश प्रतिमा स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय 27 अगस्त को प्रातः 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा। इस अवधि में प्रतिमा स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग
इस वर्ष की गणेश चतुर्थी को कई दुर्लभ और शुभ ज्योतिषीय योग विशेष बना रहे हैं।
�इस दिन प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग के साथ इंद्र-ब्रह्म योग भी बन रहा है।
�कर्क राशि में बुध और शुक्र की स्थिति के कारण लक्ष्मी-नारायण योग का निर्माण हो रहा है।
�इसके साथ ही, चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है, जिससे इसकी पवित्रता और प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।
इन संयोगों के कारण यह पर्व भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी और मंगलकारी माना जा रहा है।
पंचांग और शुभ समय
�सूर्योदय: प्रातः 05:57 बजे
�सूर्यास्त: सायं 06:48 बजे
�चंद्रोदय: रात्रि 09:28 बजे
�ब्रह्म मुहूर्त: 04:28 से 05:12 बजे तक
�विजय मुहूर्त: 02:31 से 03:22 बजे तक
�गोधूलि मुहूर्त: 06:48 से 07:10 बजे तक
�निशिता मुहूर्त: 12:00 से 12:45 बजे तक
पूजा और भोग
गणेश चतुर्थी पर भक्त विशेष रूप से मोदक, मोतीचूर लड्डू, खीर और मालपुआ का भोग अर्पित करते हैं। मोदक गणेश जी का प्रियतम भोग माना जाता है, और इसे प्रसन्नता का प्रतीक समझा जाता है। भक्तगण विधिपूर्वक पूजन करके गणपति बप्पा से परिवार में सुख-शांति, व्यवसाय में उन्नति और जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं।
इस वर्ष का गणेश चतुर्थी पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ अवसर लेकर आया है। प्रतिमा स्थापना और सच्चे मन से की गई आराधना से जीवन में खुशहाली, सफलता और दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होगी।