रविवार को है फाल्गुनी अमावस्या, जानिये महत्व व पूजा विधि

हिन्दू धर्म में फाल्गुनी अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मार्च के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। उदय तिथि के मद्देनजर, इस साल 10 मार्च के दिन फाल्गुनी अमावस्या पड़ रही है। फाल्गुन अमावस्या भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा और गंगा स्नान-दान करने से साधक को जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और पितृ प्रसन्न होते हैं। फाल्गुन अमावस्या के अवसर पर पूर्वजों का पिंड दान कर सकते हैं। साथ ही श्रदा अनुसार गरीबों को विशेष चीजों का दान करना चाहिए। फाल्गुनी अमावस्या के दिन विशेष तौर पर विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या 9 मार्च 2024 को शाम 6 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 10 मार्च को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में फाल्गुन अमावस्य 10 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान और दान करने का मुहूर्त सुबह 4 बजकर 49 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

कब है फाल्गुनी अमावस्या

फाल्गुनी अमावस्या तिथि की शुरुआत- 06:17 पी एम, मार्च 09

फाल्गुनी अमावस्या तिथि की समाप्ति- 02:29 पी एम, मार्च 10

स्नान-दान मुहूर्त- सुबह 05.20 - सुबह 06.21 पितृ दोष और काल सर्प दोष उपाय

फाल्गुनी अमावस्या की विशेष तिथि पर कुछ उपायों की मदद से पितृ दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। इसलिए इस दिन पूरी श्राद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करें। वहीं, पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ जरूर करें। फाल्गुनी अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराने और तर्पण करने से पितरों की कृपा घर के सदस्यों पर बनी रहती है।

फाल्गुनी
अमावस्या शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:44 ए एम से 05:32 ए एम

प्रातः सन्ध्या- 05:08 ए एम से 06:21 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:40 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:15 पी एम से 03:03 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:10 पी एम से 06:34 पी एम

सायाह्न सन्ध्या- 06:12 पी एम से 07:25 पी एम

अमृत काल- 06:55 पी एम से 08:19 पी एम

निशिता मुहूर्त- 11:52 पी एम से 12:40 ए एम, मार्च 11

सर्वार्थ सिद्धि योग- 01:55 ए एम, मार्च 11 से 06:20 ए एम, मार्च 11

पूजा
-विधि
स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें। गणेश जी को प्रणाम करें। विष्णु जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें। तुलसी दल सहित भोग लगाएँ और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

महत्व

फाल्गुनी अमावस्या के दिन दान और स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। फाल्गुन की अमावस्या पर दान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा फाल्गुनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए। वहीं, इस दिन गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन कराने से जीवन के कष्ट दूर हो सकते हैं।

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