कामदा एकादशी पर करें यह काम, होते हैं कुंडली के ग्रह दोष शांत

शनिवार, 1 अप्रैल 2023 चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी संवत् 2080 है। इस एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर व्रत-उपवास करने वाले भक्तों की सभी इच्छाएँ भगवान विष्णु जी की कृपा से पूरी हो सकती हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु ग्रह की अशुुभता दूर होती है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। शिक्षा में यदि लगातार बाधा बनी हुई तो एकादशी व्रत विधि पूर्वक करने से लाभ मिलता है। संतान के लिए माता पिता भी इस व्रत को कर सकते हैं। शनिवार को एकादशी होने से इस दिन शनि देव की भी पूजा करेंगे तो कुंडली के ग्रह दोष शांत हो सकते हैं।

कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को कई पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है। पद्म पुराण के अनुसार, कामदा एकादशी के व्रत करने से मनुष्य को बड़े से बड़े पापों से मुक्ति मिलती है। कामदा एकादशी के व्रत करने से और कथा सुनने से वाजपेय नामक महायत्र का पुण्य मिलता है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत चैत्र माह की एकादशी को रखा जता है। ऐसे में भगवान विष्णु और मंत्र का जप करने से पापों मुक्ति मिलती है। इसलिए कामदा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखना चाहिए।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनिवार और एकादशी के योग में काले तिल और तेल का दान जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है, इसका शुभ असर जीवनभर बना रहता है। एकादशी व्रत के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था।

स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति और सफलता बनी रहती है।

एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें। तांबे के लोटे में जल भरें, चावल और लाल फूल डालें, इसके बाद सूर्य को अघ्र्य अर्पित करें। इसके बाद घर के मंदिर में पूजा करें।

सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। गणपति को जल, पंचामृत और फिर जल चढ़ाएं। हार-फूल और नए वस्त्र अर्पित करें। लड्डू का भोग लगाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें।

गणेश पूजा के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा का संकल्प लें। भगवान का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करें। नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक करें। धूप-दीप जलाएं। तुलसी के साथ मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। आरती करें। पूजा के बाद क्षमा याचना करें और प्रसाद बांटें, खुद भी लें। ठीक इसी तरह बाल गोपाल की भी पूजा करनी चाहिए।

एकादशी व्रत करने वाले भक्तों को दिनभर भोजन नहीं करना चाहिए। भूखे रहना संभव न हो तो फलों का, दूध का और फलों के रस का सेवन किया जा सकता है। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह फिर से विष्णु जी की पूजा करें और फिर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, इसके बाद खुद भोजन करें।

कामदा एकादशी पर विष्णु जी कथाओं का पाठ करें। विष्णु पुराण, श्रीमद् भगवद पुराण का पाठ किया जा सकता है। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें।

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