शिवलिंग पर ख़डे होकर न चढ़ाएँ जल, इस दिशा में बैठकर करनी चाहिए पूजा
            Astrology Articles   I   Posted on 30-07-2022  ,09:25:15   I  by: 
            
            
            हर हिन्दू परिवार का एक सदस्य ऐसा होता है जो शिवजी की पूजा आराधना नियमित  रूप से करता है। वह शिव जी मंदिर में जाकर उन्हें जल चढ़ाता है। सोमवार का  व्रत करता है, धूमधाम से शिवरात्रि का उत्सव मनाता है। सावन के महीने में  शिव भक्त अपनी मनोकामना को पूरा करवाने के लिए किसी न किसी प्रकार संकल्प  लेते हैं, जिसके चलते कई अपने बाल व दाढ़ी नहीं बनवाते और कई 16 सोमवार का  व्रत शुरू कर देते हैं। सावन का महीना शिवजी को अर्पित है। इस पूरे माह  शिवजी की पूजा आराधना की जाती है। इस माह में शिवलिंग की पूजा बहुत फलदायी  मानी गई है, कहा जाता है कि सावन माह में शिवजी बहुत प्रसन्न रहते हैं। शिव  का अर्थ है कल्याण और आनंद। शिव अनंत हैं। सावन में वैसे तो हर दिन महादेव  की उपासना के लिए है लेकिन सोमवार का दिन विशेष तौर पर उत्तम माना गया है।  सावन का तीसरा सोमवार 1 अगस्त को है। शास्त्रों में भोलेनाथ की आराधना के  लिए कुछ नियम बताए गए हैं। कहा गया है कि  सही विधि और सही दिशा में बैठकर  ही शिव पूजा का फल प्राप्त होता है। 
फिर चाहे यह पूजा आप मंदिर में करें  या अपने घर में स्थापित शिव मंदिर में, पूजा करते समय कुछ सावधानियाँ रखनी  चाहिए। आइए डालते हैं एक नजर उन पर—
किस दिशा में हो शिवलिंग की वेदी का मुख
शिवलिंग  घर में हो या मंदिर में इनकी वेदी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही होना  चाहिए। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों विद्यमान हैं इसलिए जहां शिवलिंग  होता है वहां ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक रहता है।
किस दिशा में बैठकर करें शिवलिंग की पूजा
सावन  का तीसरा सोमवार 1 अगस्त को है। शास्त्रों के अनुसार अगर आप सुबह के समय  शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो अपना मुख पूर्व की ओर करके महादेव की उपासना  करें। यदि आप शाम के वक्त भी शिवलिंग की पूजा करते हैं तो ऐसे में अपना  मुख पश्चिम दिशा की ओर रखें।
विशेष मनोकामना हेतु रात्रि में भी शिव की  आराधना की जाती है। इस दौरान जातक को अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखना  चाहिए। मंत्र जाप, पाठ करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा उत्तम मानी गई है।
भगवान शिव के बाएं अंग में देवी गौरी का स्थान है इसलिए ध्यान रहे कि कभी उत्तर दिशा में बैठकर शिव की पूजा न करें।
शिवलिंग से दक्षिण दिशा में बैठकर पूजन करने से मनोवांछित फल मिलता है।
इसके अतिरिक्त इन बातों का भी ध्यान रखें—
1.  शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर कभी खड़े होकर जल न चढ़ाएं। बैठकर ही जल  अर्पित करें। खड़े होकर जल अर्पित करने से पुण्य नहीं मिलता।
2. शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है क्योंकि जलधारा कभी लांघी नहीं जाती।