दीपावली 2025- क्यों मनाएं 20 अक्टूबर को, समझिए शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार
Vastu Articles I Posted on 20-10-2025 ,06:41:43 I by:

इस वर्ष दीपावली को लेकर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कहीं 21 अक्टूबर को दीपावली बताई जा रही है, तो कहीं 20 अक्टूबर को। परंतु यदि हम शुद्ध पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं पर विश्वास करें, तो स्पष्ट होता है कि वर्ष 2025 में दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को ही मनाना उचित और श्रेष्ठ है। कारण यह है कि अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 2:32 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को दोपहर 4:25 बजे तक रहेगी। यानी कि पूरी अमावस्या की रात्रि 20 तारीख को उपलब्ध है, और यही शास्त्रों में दीपावली पूजन के लिए आदर्श मानी गई है।
प्रदोष, निशीथ और महा निशीथ � एक साथ तीन शुभ संयोग
20 अक्टूबर को केवल अमावस्या नहीं है, बल्कि इस दिन तीन महत्वपूर्ण काल भी एक साथ संयोग बना रहे हैं � प्रदोष काल, निशीथ काल और महा निशीथ काल। यह त्रिसंयोग अत्यंत दुर्लभ है और यही कारण है कि इस दिन किया गया लक्ष्मी पूजन अत्यधिक फलदायी माना गया है। प्रदोष काल में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का मिलन माना जाता है, और इसी समय दीप प्रज्वलन एवं लक्ष्मी पूजन करने से सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
खास ग्रह योग बना रहे हैं दीपावली को और भी शक्तिशाली
2025 की दीपावली पर केवल तिथि और मुहूर्त ही नहीं, बल्कि ग्रहों की विशेष स्थिति भी इसे बेहद प्रभावशाली बना रही है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में स्थित रहेगा और शुक्र के साथ उसका संयोग मानसिक शांति और भौतिक सुखों की ओर संकेत करता है। वहीं, बुध तुला राशि में रहकर बुधादित्य योग बनाएगा, जो व्यापार और निर्णय क्षमता में वृद्धि करता है। मंगल और सूर्य भी तुला राशि में रहकर भौमादित्य योग बनाएंगे, जो साहस, नेतृत्व और ऊर्जा का प्रतीक है।
इसके साथ ही गुरु अमावस्या की रात के बाद उच्च राशि कर्क में प्रवेश करेगा, जिससे धर्म, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा को बल मिलेगा। शनि मीन राशि में, राहु कुंभ में और केतु सिंह में स्थित होंगे � यह संयोग तांत्रिक साधना और गूढ़ विद्याओं में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत फलदायक रहेगा। कुल मिलाकर यह दीपावली ग्रह योगों के अनुसार व्यापार, धन अर्जन और साधना के लिए अत्यधिक शुभ मानी जा रही है।
लक्ष्मी पूजन का उत्तम मुहूर्त और दीप प्रज्वलन का समय
20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए सायं 5:30 से 6:10 बजे तक शुभ चौघड़िया का योग बन रहा है, जो दीप प्रज्वलन के लिए अत्यंत अनुकूल है। इसके बाद सायं 6:51 से 8:48 बजे तक वृष लग्न में स्थिर पूजन मुहूर्त रहेगा, जो विशेष रूप से गृहस्थ जीवन और व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
रात्रि में 1:35 से 3:10 बजे तक महा निशीथ काल रहेगा, जो तांत्रिक पूजन और गूढ़ साधनाओं के लिए उपयुक्त है। इस समय स्थिर लग्न और शुभ चौघड़िया का योग साधना के लिए उत्कृष्ट वातावरण प्रदान करता है। अतः प्रदोष काल में लक्ष्मी, गणेश और कुबेर का पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है।
किनसे रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी? व्यवहार और स्वच्छता का विशेष महत्व
दीपावली केवल पूजन का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वच्छता, संयम और सदाचरण का प्रतीक भी है। शास्त्रों में स्पष्ट बताया गया है कि माता लक्ष्मी केवल साफ-सुथरे घरों और पवित्र विचारों में वास करती हैं। जो व्यक्ति गंदे वस्त्र पहनते हैं, शरीर की सफाई पर ध्यान नहीं देते, कटु वचन बोलते हैं या फिर असंयमित जीवन जीते हैं � उनसे लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
जो लोग सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सोते हैं, अत्यधिक भोजन करते हैं, झूठ बोलते हैं या दूसरों का अपमान करते हैं, उनके घर लक्ष्मी का प्रवेश नहीं होता। दीपावली पर केवल घर की सफाई नहीं, मन और वाणी की भी शुद्धि अनिवार्य है। आत्मशुद्धि ही लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का मुख्य मार्ग है।
दीपावली: धन ही नहीं, आत्मिक प्रकाश का पर्व भी
दीप जलाकर लक्ष्मी को बुलाना एक प्रतीकात्मक कार्य है, लेकिन असली दीप वह है जो मन में जलता है। दीपावली का वास्तविक अर्थ है � अंधकार को दूर कर प्रकाश को अपनाना। यह केवल बाहरी सफाई का अवसर नहीं है, बल्कि अपने भीतर के दोषों, ईर्ष्या, क्रोध और मोह को भी हटाकर, आत्मिक रूप से शुद्ध बनने का अवसर है।
इसलिए यदि आप 20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन करते हैं, तो न केवल शास्त्रसम्मत रूप से सही समय पर पूजा करेंगे, बल्कि आपको ग्रह योगों, मुहूर्तों और काल के अद्भुत संयोगों का पूर्ण लाभ भी प्राप्त होगा।