तीन साल बाद हरियाली और सोमवती अमावस्या का संयोग, शिव-पार्वती पूजा का विशेष महत्व

आज सावन महीने की अमावस्या होने से हरियाली अमावस्या पर्व है। इस बार इस पर्व पर हर्षण योग, पुनर्वसु नक्षत्र, श्रावण सोमवार और अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। साथ ही कर्क राशि में बुधादित्य योग भी बन रहा है, इसलिए ये पर्व और भी खास हो गया है। सावन महीने में सोमवती और हरियाली अमावस्या का योग हर साल नहीं बनता है।
इससे पहले ये संयोग 2020 में बना था। अब ये शुभ संयोग 2027 में बनेगा। इस दिन किया गया स्नान और दान और भी पुण्य फलदायी रहेगा। इस पर्व पर किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितर तृप्त होते हैं।

सावन माह शिवजी को विशेष प्रिय है। लेकिन इस महीने कई तीज-त्योहार आते हैं। इसलिए भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा का भी बहुत महत्व है।

अमावस्या पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। इसके साथ ही हर तरह के रोग भी खत्म हो जाते हैं। अमावस्या पर पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। देवी पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं और शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं। हरियाली अमावस्या पर खेती में काम आने वाले औजार हल, हंसिया आदि की पूजा करने की परंपरा है। खेतों में खड़ी फसल अच्छी रहे, इसी कामना के साथ किसान ये पर्व मनाते हैं। यह पर्व किसानों की समृद्धि और पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देने के लिए मनाया जाता है।

नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, देव पूजा एवं पौधा रोपण आदि शुभ काम करने से अक्षय फल प्राप्ति होती है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष, शनि की दशा और पितृ दोष है। उन्हें शिवलिंग पर पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए। सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधा रोपण किया जाता है। इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं।

अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है। पितरों में प्रधान अर्यमा को माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि वह स्वयं पितरों में प्रधान अर्यमा हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पौधा रोपण से पितर भी तृप्त होते हैं, यानी इस दिन पौधे लगाने से प्रकृति और पुरुष दोनों ही संतुष्ट होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन एक पौधा लगाना शुभ माना जाता है।

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