भौमवती अमावस्या: पितृ दोष दूर करने के लिए की जाती है हनुमान जी की पूजा

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर मंगलवार को मनाई जा रही है, जोकि साल की अंतिम अमावस्या है। इस दिन मंगलवार पड़ने की वजह यह भौमवती अमावस्या है, क्योंकि मंगलवार को भौम भी कहा जाता है। ऐसे में इस बार पितरों की आत्मा की शांति और पितृ दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा की जाएगी। शास्त्रों के मुताबिक, इस पवित्र दिन कुछ आसान उपाय करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आ सकती है।

भौमवती अमावस्या मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर 2023 को सुबह 06.24 बजे से शुरू होगी और 13 दिसंबर 2023 को सुबह 05.01 बजे संपन्न होगी। तिथि के लिए तीन प्रहर की अनिवार्यता के नियम से 12 दिसंबर मंगलवार को ही मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन स्नान का मुहूर्त सुबह 5.14 बजे से सुबह 6.09 बजे तक है और इस दिन पितृ पूजा सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक है।

भौमवती अमावस्या का महत्व
मान्यता है कि पितृ पूजन के साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार मार्गशीर्ष अमावस्या बहुत खास होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस योग में स्नान दान से रोग और दोष दूर होते हैं, विवाह और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।

आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या का मुहूर्त, उपाय और पितृ पूजन की विधि..

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजा
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं और इस तिथि के स्वामी पितर होते हैं। इसलिए पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए अमावस्या तिथि पर पितृ पूजन खास होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पितरों के लिए तर्पण और धूप देना आपका कल्याण करेगा। साथ ही पंचबलि भोग निकालें और ब्राह्मण भोजन कराएं। इसके अलावा यथाशक्ति कपड़े, अन्न, तिल, गुड़ या नमक का दान करें। मान्यता है इससे पितर प्रसन्न होंगे, पूरे परिवार को आशीर्वाद देंगे।

मंगल ग्रह के उपाय
मंगलवार और अमावस्या का योग अधिक देखने को नहीं मिलता है। लेकिन यदि मंगलवार को अमावस्या पड़े तो मंगल ग्रह की भात पूजा और हनुमानजी की उपासना रोगों से छुटकारा पाने के लिए विशेष होता है। मान्यता है इन कार्यों से कर्ज से छुटकारा भी मिलता है। इसके अलावा भौमवती अमावस्या भात पूजा में उबले चावल से शिवलिंग का भी श्रृंगार करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल की अशुभता दूर होती है, और जिन पति-पत्नी में तालमेल नहीं है, वह समस्या दूर होती है। भूमि-भवन से जुड़ी समस्याएं और रक्त संबंधी बीमारी दूर होती है।

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team