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जीवन में सुख, शान्ति, धन, संपत्ति, संतान, ऐश्वर्य और राजा के समान समस्त सुख-सुविधाएं प्राप्त करने की अभिलाषा प्रत्येक मनुष्य की होती है, इसके लिए वह कोशिश भी करता है। लेकिन कई बार अथक परिश्रम के बावजूद अपेक्षित लाभ नहीं मिलता। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें उक्त सभी सुख-सुविधाएं बिना विशेष प्रयास के अपने आप ही हासिल हो जाते हैं। किसी मनुष्य के जीवन में राज योग है अथवा नहीं, इस बात की जानकारी उसकी जन्म कुंडली से हो सकती है। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि राज योग का अर्थ राजा बनने से नहीं है, बल्कि इसके द्वारा मान-सम्मान, यश, पद, प्रतिष्ठा, अर्थ लाभ, तरक्की और जीवन के लिए जरूरी सुख-सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होने का विश्लेषण किया जाता है। 
जिस जन्म कुंडली में तीन या चार ग्रह अपने उच्च या मूल त्रिकोण में बली हों तो जातक राजनीति में प्रभावशाली उच्च पद प्राप्त करता है। कुंडली में पांच या छह ग्रहों के उच्च या मूल त्रिकोण में होने से जातक निर्धन परिवार में जन्म लेने के बाद भी राज्य सुख भोगता है। पाप ग्रहों के उच्च या मूल त्रिकोण में होने पर भी जातक शासन से सम्मान हासिल करता है। 
 अगर कुंडली में सभी ग्रह बली तथा अपने उच्च के हों तथा उन पर मित्र ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक की राजनीति में रूचि रहती है। इसी तरह अपने उच्च त्रिकोण अथवा स्व राशि में बैठा हुआ कोई भी ग्रह अगर चंद्रमा को देखता है तो ऐसा जातक राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। 
अगर किसी जातक की कुंडली में मेष या कन्या लग्न में चंद्रमा, ग्यारहवें भाव में शुक्र व गुरु, मंगल, शनि और बुध ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित हों तो ऐसा जातक राजा के समान सुख-सुविधाएं भोगता है और जीवन में उसे अभावों का सामना भी नहीं करना पड़ता है।  
जन्म कुंडली में मकर लग्न में शनि, मीन राशि में चंद्रमा, मिथुन राशि में मंगल, कन्या राशि में बुध तथा धनु राशि में गुरु स्थित हों तो उच्च राजयोग होने से जातक प्रभावशाली शासनाधिकारी होता है।  
लग्न में शनि और सातवें भाव में गुरु होने के साथ-साथ अगर गुरु पर शुक्र की दृष्टि भी हो तो ऐसा जातक उत्तम नेतृत्व क्षमता वाला होता है। 
कुंडली में सभी ग्रह नवें अथवा ग्यारहवें भाव में बैठे हों ऐसी कुंडली चक्र योग वाली होती है। इसके अलावा कुंडली में एक राशि के अंतर से छह राशियों में सभी ग्रह स्थित हों तो कुंडली कलश योग वाली होती है। इस प्रकार कुंडली के जातक राजनीति में उच्च पद प्राप्त करते हैं। 
कुंडली में वृष राशि में स्थित चन्द्रमा पर गुरु की दृष्टि होने से जातक को राजनीति में विशेष स्थान हासिल होता है। इसी तरह तुला राशि में शुक्र, मेष राशि में मंगल और कर्क राशि में गुरु बैठे हों जातक जीवन में यथोचित मान-सम्मान, यश, पद और अन्य लाभ प्राप्त करता है।
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