जब सारे काम बिगडने लगें, हर चीज में हो नुकसान करें तो करें ये ग्रह दोष उपाय

मानव अपने पूर्वार्जित कर्मफलों के अनुरूप इस जन्म में सुख-दु:ख भोगता है। इन सुख-दु:खों का संकेत जन्मपत्रिका से प्राप्त होता है। जन्मपत्रिका में ग्रह बली एवं शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है, वहीं, वे निर्बल एवं अशुभ स्थिति में हों, तो दु:खों की अधिकता रहती है। ग्रहादोषजन्य इन दु:खों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। ज्योतिष, धर्म एवं तन्त्रग्रन्थों में ऐसे कई उपायों का वर्णन है, जिनसे ग्रहदोषजन्य कष्टों को कम किया जा सकता है। ऐसे ही सरल उपायों का यहां वर्णन किया जा रहा है।

सूर्य के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. प्रात:काल सूर्योदय के समय गायत्रीमन्त्र के साथ सूर्य को अघर्यप्रदान करें।
2. ओम घृणि: सूर्याय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
3. गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें।
4. बहते जल में तांबे का सिक्का प्रवाहित करें।
5. रविवार को सूर्योदय से पूर्व गुड़ से बनी कोई वस्तु पीपल के वृक्ष के नीचे रखें।

चन्द्रमा के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम सौं सोमाय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. सोमवार को पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाएं। 3. चांदी का टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करें। 4. रात को दूध का सेवन नहीं करें। 5. चांदी, चावल एवं दूध का दान करें।

मंगल के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम अं अंगारकाय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. मंगलवार को लाल रंग या सिन्दूरी रंग का कपड़ा पीपल के वृक्ष पर लपेटना चाहिए।
3. मंगलवार को बन्दरों को गुड़-चना खिलाएं।
4. स्वामी कार्तिकेय एवं हनुमान जी की उपासना करें।
5. मसूर की दाल एवं तांबा दान करें।

बुध के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम बुं बुधाय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. बुधवार को कौड़ी की राख बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
3. धार्मिक संस्थाओं में शुभ कार्यों के लिए दान करें।
4. गणेशचालीसा एवं दुर्गाचालीसा का पाठ करें।
5. साबुत मूंग मंदिर में दान करें।

गुरु के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम बृं बृहस्पतये नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. गुरुवार को केसर, हल्दी, चने की दाल, सोना आदि दान करें।
3. पीपल एवं केले के वृक्ष को प्रतिदिन जल से सींचें।
4. आध्यात्मिक गुरु बनाएं और उनका आशीर्वाद लें।
5. प्रतिदिन माता-पिता एवं बड़े भाई के चरण स्पर्श करें।

शुक्र के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम शुं शुक्राय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. शुक्रवार को सूर्यास्त के पश्चात् पके हुए चावल पीपल के नीचे रखें।
3. कन्याओं एवं विधवा स्त्रियों को दान दें।
4. इत्र, पर यूमम आदि का प्रयोग करें।
5. घर एवं रिश्तेदारी में आदरणीय स्त्री का प्रतिदिन आशीर्वाद प्राप्त करें।

शनि के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम शं शनैश्चराय नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. काले तिल से युक्त जल से शिवलिंग का प्रतिदिन अभिषेक करें।
3. शनिवार को काली उड़द एवं अपना काम में लिया हुआ कोई कपड़ा दान करें।
4. पीपल पर जल चढ़ाएं तथा वहां तेल का दीपक जलाएं।
5. नारियल एवं बादाम बहते पानी में बहाएं।
6. रोगियों की सेवा करें तथा उन्हें खाना एवं औषधियां दान करें।

राहु के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम रां राहवे नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. बहते हुए जल में कोयला बहाएं।
3. कबूतरों को ज्वार एवं बाजरा डालें।
4. प्रतिमाह कृष्णपक्ष के एक शनिवार को गोले में घी एवं बूरा भरकर सूर्यास्त के पश्चात् पीपल के पेड़ के नीचे छोड़ें।

केतु के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय :
1. ओम कें केतवे नम: मन्त्र का अधिकाधिक बार जप करें।
2. पीपल के वृक्ष पर दो रंग का तिकोना झण्डा फहराएं।
3. दो रंग का क बल गरीब को दान में दें।
4. सुबह-शाम बनने वाली अन्तिम रोटी कुत्ते को खिलाएं।
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