भविष्य जानने के लिए अपनाएं ज्योतिष की यह नई तकनीक, सटीक जवाब चंद मिनटों में

जिन लोगों को अपने जन्म समय और जन्म तिथि का ध्यान नहीं है, वे एक खास कुंडली के जरिए अपना भविष्य जान सकते हैं। भविष्य से जुड़े प्रश्नों का जवाब प्राप्त कर सकते हैं।

कई बार लोगों की उलझन होती है कि उन्हें अपना जन्म समय या जन्मतिथि सही पता नहीं होती। ऐसे में ज्योतिष संबंधी फलादेश कैसे किए जाएं? किस तरह उनका भविष्य बांचा जाए? ज्योतिष में इसका सटीक जवाब प्रश्न कुंडली है। प्रश्न कुंडली में कार्य भाव और कार्येश की भूमिका अहम होती है। कार्य से यहां अर्थ उस विचार या इच्छा से है जिसके लिए प्रश्न कुंडली बनाई जाती है। जैसे अगर कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि क्या वह यात्रा करेगा? इस स्थिति में कार्यभाव तृतीय भाव हो गया। कार्येश से मतलब कुंडली के उस भाव से है, जिससे संबंधित प्रश्न किया गया है। इस प्रश्न में यात्रा के विषय में कहा गया है तो तृतीय भाव का स्वामी कार्येश हो गया। इस प्रकार प्रश्न कुंडली में कार्य भाव और कार्येश का संबंध प्रश्न की सफलता दर्शाता है।

प्रश्न कुंडली वास्तव में समय विशेष की एक कुंडली है जो उस समय बनाई जाती है, जिस समय जातक प्रश्न पूछता है। इस कुंडली से जातक के प्रश्न का ही भविष्य देखने का प्रयास किया जाता है। इस विधि में सवाल कुछ भी हो सकता है। आमतौर पर तात्कालिक समस्या ही सवाल होती है। ऐसे में समस्या समाधान का जवाब देने के लिए प्रश्न कुंडली सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है। ध्यान रखने की बात यह है कि प्रश्न के सामने आते ही उसकी कुंडली बना ली जाए। इससे समय के फेर की समस्या नहीं रहती। इसके साथ ही जातक की मूल कुंडली भी मिल जाए और वह प्रश्न कुंडली को इको करती हो तो समस्या का हल ढूंढना और भी आसान हो जाता है। कई बार जातक जो मूल कुंडली लेकर आता है, वह भी संदेह के घेरे में होती है। ओमेन (संकेतों का विज्ञान) बताता है कि जातक का ज्योतिषी के पास आने का समय और जातक की कुंडली दोनों आमतौर पर एक-दूसरे के पूरक होते हैं। ऐसे में प्रश्न कुंडली बना लेना फलादेश के सही होने की गारंटी को बढ़ा देता है। पहले जब हाथ से कुंडली बनाई जाती थी, तब हाथों हाथ प्रश्न कुंडली बनाना संभव नहीं था लेकिन वर्तमान दौर में कंप्यूटर और सक्षम सॉफ्टवेयर की मदद से हाथों हाथ कुंडलियां बनाई जा रही है। अब ज्योतिषी जातक की मूल कुंडली के साथ ही प्रश्न कुंडली बना लेते हैं। यह फलादेश के काम को आसान बना देता है।

जन्म समय समस्या का समाधान
हालांकि पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में शिशु के जन्म लेते ही अस्पताल स्टाफ नवजात के टैग लगाकर सही जन्म समय उस पर लिख देता है। बावजूद इसके जन्म समय को लेकर कई तरह की उलझनें बनी हुई है। आमतौर पर शिशु के गर्भ से बाहर आने को ही जन्म समय माना जाता है। इसके अलावा माता से नाल के कटने या पहली सांस लेने को भी जन्म समय लेने का मत ज्योतिष में देखने को मिलता है। सही जन्म समय को लेकर हमेशा उहापोह की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में प्रश्न कुंडली ऐसा जवाब है, जिससे जन्म तिथि और जन्म समय के बिना फलादेश किया जा सकता है। भविष्य से जुड़े सवालों का उत्तर पाया जा सकता है। सामान्यतया प्रश्न कुंडली की आयु वार्षिक मानी गई है। प्रश्न कुंडली में लग्न समय निश्चित होता है। प्रश्न कर्ता की चिंताओं की जानकारी चंद्रमा से देखी जा सकती है। प्रश्न कुंडली के लग्न भाव में बली चंद्र की स्थिति निवास, चिंताएं दूसरे भाव में धन, तीसरे भाव में घर से दूर रहने की चिंताएं, चौथे भाव में मकान-पानी से संबंधित परेशानी, पांचवे भाव में संतान, छठे भाव में ऋण, सातवें भाव में विवाह या साझेदारी, आठवें भाव में पैतृक सम्पति या अप्रत्याशित लाभ, नवम भाव में चंद्र लंबी दूरी की यात्राएं दशम भाव में आजीविका, एकादश भाव में आयु-वृद्धि, पदोन्नति, द्वादश भाव में बली चंद्र विदेश यात्रा से जुड़ी चिंताएं होने का संकेत देता है।

कमोबेश एक जैसे सवाल
ज्योतिष कार्यालय चलाने वाले लोग जानते हैं कि एक दिन में एक ही प्रकार की समस्याओं वाले लोग अधिक आते हैं। इसका कारण यह है कि गोचर में ग्रहों की जो स्थिति होती है उससे पीडि़त होने वाले लोगों का स्वभाव भी एक जैसा ही होगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि समान राशि या कुंडली वाले लोगों को एक जैसी समस्याएं होंगी। बल्कि ग्रह योगों की समान स्थिति से समान स्वभाव की समस्याएं सामने आएंगी। मेरा अनुभव बताता है कि जिस दिन गोचर में चंद्रमा और शनि की युति होगी तो उस दिन मानसिक समस्याओं से घिरे लोग अधिक आएंगे। हां, मानसिक समस्याओं का प्रकार, लग्न और अन्य ग्रहों का कारण बदल जाता है। कोई सिजोफ्रीनिया से पीडि़त हो सकता है तो कोई क्रोनिक डिप्रेशन का मरीज हो सकता है। किसी को दिमागी सुस्ती की समस्या हो सकती है तो कोई साइको-सोमेटिक डिजीज से ग्रस्त हो सकता है। इस तरह प्रश्न कुंडली से एक ओर जातक का विश्लेषण आसान हो जाता है तो दूसरी ओर भूतकाल स्पष्ट करने के बजाय भविष्य कथन में अधिक ध्यान लगाया जा सकता है।

छद्म प्रश्नों की समस्या
प्रश्न कुंडली के साथ बड़ी समस्या है जातक के सवाल का सही नहीं होना। ज्योतिष की जिन पुस्तकों में प्रश्नों के सवाल देने की विधियां दी गई हैं, उन्हीं में छद्म प्रश्नों से बचने के तरीके भी बताए गए हैं। इसका पहला नियम यह है कि ज्योतिषी को टैस्ट करने के लिए पूछे गए सवालों का जवाब कभी मत दो। ऐसा इसलिए कि ओमेन के सिद्धांत के अनुसार छद्म सवाल का कोई जवाब नहीं होता। जातक का सवाल सही नहीं होने पर प्रश्न और कुंडली एक-दूसरे के पूरक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में प्रश्न कुंडली बनाने के साथ ही ज्योतिषी को प्रश्न के स्वभाव का प्रारंभिक अनुमान भी कर लेना चाहिए। इससे प्रश्न में बदलाव की संभावना कम होती है।

पंडित आनंद जोशी, बीकानेर

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