श्रावण के पहले सोमवार को होगा ऐसा रूद्राभिषेक, तो गणेश, धनलक्ष्‍मी और शक्ति का रहेगा साथ

श्रावण और भाद्रपद मास पूरे वर्ष के हृदय हैं। शंकर श्रावणप्रिय के अनुसार पूरे 12 महीनों में महादेव को श्रावण मास सर्वाधिक प्रिय है। इसी कारण परंपरा में बरसाती सावन मास में आशुतोष भगवान शंकर का पूजन, आराधन और रुद्राभिषेक से विशेष अर्चन होता है। वेद-पुराणों के अनुसार महादेव सारे देवताओं के प्राण हैं। वे पार्वतीनाथ अपने भक्तों पर बहुत शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांछित फल देने वाले भोले-भंडारी हैं। जलधाराप्रिय: शिव: इस शास्त्र वाक्य के अनुसार भगवान शंकर को निर्मल जल की धारा सबसे प्रिय है। वायुपुराण में स्पष्ट लिखा है कि जो व्यक्ति किसी भी पदार्थ का दान करे या वह सारे धन-धान्य, स्वर्ण और औषधियों से भले युक्त हो पर इन सबके साथ ही यदि वह महादेव को जल चढ़ाता है और सावन मास में श्रद्धायुक्त होकर रुद्राभिषेक करता है तो वह उसी शरीर से भगवान शिव को प्राप्त कर लेता है। इसलिए हरेक व्यक्ति को पूरे सावन मास में प्रतिदिन रुद्राभिषेक करना चाहिए।

कैसे करें रुद्राभिषेक
मुख्यत: महादेव का अभिषेक जल से ही करना चाहिए। परंतु अनेक बार कार्य की सिद्धि के लिए भक्तगण दूध, पंचामृत, आम्ररस, गन्ने का रस, नारियल जल एवं तीर्थजल आदि से भी भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। शिवसंहिता के अनुसार तो जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ निर्मल मन से श्राावण मास में प्रतिदिन रुद्राभिषेक करता है, सारे देवता भी उसके वश में हो जाते हैं। रुद्राभिषेक करते समय विद्वान ब्राह्मणों से शुक्लयजुर्वेद की रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करवाना चाहिए। ये वे वेद मंत्र हैं, जिनके उच्चािरण मात्र से ही भूतभावन शंकर प्रसन्न हो जाते हैं।

अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल
जब किसी का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है। इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।
वंश की वृद्धि के लिए शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें।
शिव पर जलधारा से अभिषेक मन की शांति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
भौतिक सुखों को पाने के लिए इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।
बीमारियों से छुटकारे के लिए शहद की धारा से शिव पूजा करें।
गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर सुख और आनंद मिलता है।
सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरुर बोलना चाहिए।
सोमवार, प्रदोष या चतुर्दशी तिथि को शिव का ऐसी धाराओं से अभिषेक व पूजा से भगवान शिव के साथ शक्ति, श्री गणेश और धनलक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है।
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