सब तालों की चाबी है जन्मपत्रिका, जानिए कैसे?

ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्र बदलते रहते हैं और परिस्थितियां भी, तभी तो कहते हैं कि समय सभी का समान नहीं रहता, बदलते वक्तर के साथ दशाएं अपना प्रभाव दर्शाती हैं तो आकाश में भ्रमण करने वाले ग्रह भी। जन्म कुण्डली एक स्थूल रूप हैं आपके जीवन का। समय-समय पर कालनेमी (ज्योतिषी) की सलाह लेकर आप आने वाली कठिनाइयों, परेशानियों को जानकर सावधानी रखी जा सकती है-


एक डॉक्टर आपको रोग होने पर ही रोग के बारे में बता पाएगा, जबकि एक ज्योतिषी कई वर्ष पूर्व आपको कब, कौन-सा रोग होगा इसकी चेतावनी दे देगा। आप कालनेमी की सलाह लेकर ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं।

ज्योतिष के कई महायोग हैं जो व्यक्ति को जीवन में बुलन्दियों पर पहुँचा देते हैं तो कई दुर्योग भी हैं। जो व्यक्ति की भरपूर मेहनत को सफल नहीं होने देते हैं। समय पर इन्हीं योगों को जानकर उपाय कर सकते हैं। जैसे- रत्न धारण, हवन, यज्ञ, ग्रहों का दान, ग्रहों के मंत्र जाप, ग्रहों के यंत्र धारण आदि के द्वारा।

प्रत्येक जन्मपत्रिका एक पतिव्रता स्त्री के समान होती हैं। जिस प्रकार एक पतिव्रता स्त्री जीवन भर एक ही पति का वरण कर उसके ही अधीन रहती हैं ठीक उसी प्रकार किसी जातक की जन्मपत्रिका किसी एक ही ज्योतिषी के हाथ रहनी चाहिए। बार-बार ज्योतिषी बदलते रहने से सही भविष्यफल प्राप्त नहीं हो सकेगा तथा जन्मपत्रिका निष्प्रयोजन हो जाएगी।

आधुनिक समय में जन्मपत्रिका कम्प्यूटर से बनवाकर किसी ऐसे ज्योतिष को दिखाए जिसे फलादेश का व्यक्तिगत अनुभव हो तथा गणित भलीभाँति जानता हो। लोगों की संतुष्टता हेतु प्रचुर समय देकर अच्छी-बुरी समस्त घटनाओं को बताएँ। खास कर बुरी घटनाओं को अनिवार्य रूप से बताएँ। चाहे वे कटु सत्य क्यों न हो? क्योंकि ज्योतिष अर्थात प्रकाश में समानता का गुण हैं। वह अच्छी-बुरी दोनों जगहों पर पड़ेगा। ऐसी परिस्थिति में अच्छी-अच्छी बाते पूछने वाला प्रश्नकर्ता व अच्छी-अच्छी बाते बताने वाला ज्योतिषी दोनों ही दोषी हैं।

ज्योतिष विद्या के साथ विश्वासघात करने वाले हैं। अतः एक ही अनुभवी ज्योतिषी को बार-बार अपनी कुण्डली दिखलावे। इससे आपको निश्चित ही संतुष्टी होगी। शंकाओं और वहमों के चक्कर में उलझकर अनेक ज्योतिषियों को जन्मपत्रिकाएँ दिखाते फिरना अज्ञानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं हैं। अतः योग्य एवं लम्बे समय के अनुभवी ज्योतिषी का चयन कर उससे मार्गदर्शन लेवें। इतना होने के बाद भी यदि कोई जातक नहीं समझे तो फिर उस जैसा अभागा कोई और न होगा।

यदि सौभाग्य से उपरोक्त योग्यता व अनुभव वाला फलादेशकर्ता मिल जाए तो उससे जी-भरकर लाभ उठाना बुद्धिमानी होगी। भविष्य फलादेश के इच्छुक व्यक्तियों को चाहिए कि वे भविष्यफल में बताएँ गए पूजा-पाठ, हवन, दान, आदि को पूर्ण विश्वास व श्रद्धा के साथ करें तभी कार्यो में सफलता निश्चित हैं। मन में शंका, कुतर्क आदि करने से कोई लाभ नहीं होगा। आपकी समस्याओं का समाधान जन्म कुण्डली, प्रश्न कुण्डली अथवा हस्त रेखा से किया जा सकता हैं।
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