आपका कोई भी काम नहीं बन रहा, कहीं आपको पितृदोष तो नहीं?

पितृदोष होने पर जातक परेशान न हों क्योंकि ज्योतिष में पितृदोष को दूर करने के कई आसान उपाय बताए गए हैं। कुछ उपायों को अपनाने से कैसा भी दोष हो दूर हो जाता है।

अक्सर सुनने में आता है कि अमुक व्यक्ति को पितृदोष के कारण सफलता नहीं मिल पा रही है या पितृदोष के चलते मानसिक रूप से परेशान है। किसी की कम उम्र में दुर्घटना से या बीमारी के कारण मृत्यु हो जाना, बड़ी उम्र तक बच्चों का विवाह न होना, परिवार में पुत्र संतान का न होना या अत्यधिक विलंब से होना। ऐसे कई तरह विचार और कई कारण हैं, जो पितृदोष की ओर इशारा करते हैं।

कुंडली में देखकर या फिर ज्योतिषी अपने ज्ञान के अनुसार भी जातक को पितृदोष की उपस्थिति बता सकता है। पितृदोष होने पर जातक को परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि ज्योतिष में पितृदोष को दूर करने के कई आसान उपाय बताए गए हैं। ये उपाय शास्त्रीय, पारिवारिक, वंश परंपरागत और लोकाचार के हैं। इन सभी उपायों का विधिवत पालन करने से जातक को लाभ मिलता है और घर में खुशहाली आती है।

शास्त्रीय उपचार लाभदायक शास्त्रीय रूप से देखें तो पितृपक्ष में नियमपूर्वक तर्पण आदि करने और योग्य पात्र को भोजन कराने से पितृदोष दूर होते हैं।
दूसरा समाधान, ब्रह्मगायत्री और पितृ गायत्री मंत्र का जप अनुष्ठान रूप में करना या योग्य ब्राह्मणों से करवाना। पूर्वजों को पितृरूप में पितृक्ष मानकर भागवत कथा सुनना और सुनाना।
पितृ पक्ष में सोलह दिन तक (पूर्णिमा से अमावस्या) गायत्री जप करना।
पूर्वजों के नाम पर गयाजी में हरिद्वार, पुष्कर, पिहोवा (पंजाब), सोरोजी, काशी, बद्रीनाथ या गंगा किनारे हिमालय से लेकर सागर तक दिव्य नदियों के समीप जाकर किनारे पर पिंडदान, तर्पण आदि करना।
कुल परंपरा के रूप में अपने पूर्वजों के पदचिह्नों को स्थापित करना और उनकी अनुसंज्ञा करना। भोजन वस्त्र आदि दान करना।
यदि ये सब न हो सके तो साधारण तरीकों से भी हम पितृों को प्रसन्न कर सकते हैं। गौ सेवा कर हम पितृदोषों से आसानी से मुक्ति पा सकते हैं।
कहते हैं कि निजी जीवन से लेकर वैतरणी पार करने तक का साधन गोमाता की सेवा ही है।
गाय में सभी तीर्थों का वास है। यही नहीं गाय की पूजा और सेवा करना सभी देवों को पूजने के समान माना गया है। जो व्यक्ति भोजन के प्रथम भाग को नित्य गाय को देता है वो सभी प्रकार के सुख समृद्धि और खुशहाली का अधिकारी होता है।
गाय में सभी देवताओं का और साक्षात नारायण का वास होता है, इसीलिए इसे कामधेनू भी कहते हैं। जो जातक पूरे साल गौ सेवा करते हैं, वे ईश्वर की विशेष कृपा पाते हैं।
जो लोग पितृपक्ष में सम्मान पूर्वक शुद्ध और सात्विकता के साथ गाय को गौग्रास देते हैं वे पितृऋण मुक्ति के साथ अपने भौतिक जीवन को भी सुखमय बना सकते हैं।

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