हर काम में मिलेगी विजय, करें दशहरे पर ये खास काम

ज्योतिषिय दृष्टिकोण से विजय को लाभ और आत्मा की उन्नति से जोड़कर देखा जाता है। कुंडली का छठा भाव शत्रुओं का और बारहवां भाव हानि का बताया गया है। किसी कार्य में विजय के लिए हमारे भीतर की ताकत पर्याप्त होनी चाहिए, यह लग्न से देखी जाएगी। हमारे भीतर का साहस तीसरे भाव से देखा जाएगा और हमारी प्राप्त करने की इच्छाशक्ति ग्यारहवें भाव से देखी जाएगी। इसके साथ ही कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। कार्य को संपादित करने के दौरान हमारे समक्ष कई बार समस्याएं भी आती हैं।

इन समस्याओं को कुंडली के छठे भाव से देखा जाता है। कुंडली के छठे घर के बलवान होने से तथा किसी विशेष शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक अपने जीवन में अधिकतर समय अपने शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है। उसके शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी उसे कोई विशेष नुकसान पहुंचाने में आम तौर पर सक्षम नहीं होते।
 
कुंडली के छठे घर के बलहीन होने से अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक अपने जीवन में बार-बार शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों के द्वारा नुकसान उठाता है तथा ऐसे व्यक्ति के शत्रु आम तौर पर बहुत ताकतवर होते हैं।

लग्न के अनुसार शत्रु
मेष लग्न के जातक उग्र होते हैं और एक ही बार में कार्य का संपादन पूर्ण करने का प्रयास करते हैं। मेष लग्न में रिपु भाव का अधिपति बुध है।
वृष लग्न के जातक विलासी और आरामपसंद होते हैं। वृष लग्न में शुक्र ही शत्रु भाव का अधिपति है।
मिथुन लग्न के जातकों की खासियत समस्या को हल्के में लेने और जिंदगी को सामान्य ढंग से लेने में है। मेष लग्न में कठिन परिस्थितियों से लडऩा सिखाने वाला मंगल शत्रु भाव का अधिपति है।
कर्क राशि जलतत्वीय राशि है और एक विचार पर कम टिकने वालों की है। कर्क लग्न के लिए गुरु जो अधिक स्थिर और दुनिया को साथ लेकर चलने वाला ग्रह है शत्रु भाव का अधिपति बनता है।
सिंह राशि के जातक स्वभाव से तेज और गर्वीले होते हैं। सिंह के शत्रु भाव का अधिपति शनि है जो बहुत अधिक सोच विचार कर अपना निर्णय करता है।
कन्या राशि के लोग बहुत अधिक बोलने वाले और अधिक विश्लेषण करने वाले होते हैं। इस लग्न के अधिपति को भी शनि जैसा न्यायप्रिय शत्रु मिलता है।
धनु लग्न के जातक सादगी से जिंदगी जीने का प्रयास करते हैं। इनके शत्रुओं के रूप में हम शुक्र से चलित लोगों को देख सकते हैं।
मकर राशि के लोग अपेक्षाकृत दृढ़ और धीमे होते हैं। अपनी जबान पर कायम नहीं रह सकने वाले बुध के लोग इस लग्न के शत्रु होते हैं।
कुंभ राशि के जातक आत्मविश्वासी होते हैं, इनका शत्रु चंद्रमा होता है। मीन राशि को जातक अपेक्षाकृत सादी जिंदगी जीने वाले होते हैं, इनके शत्रु भाव का स्वामी सूर्य है।
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