विधि-विधान से धारण किया रत्न कर सकता है वारे न्यारे, बिगाड भी सकता है ग्रहों की चाल 
            Astrology Articles   I   Posted on 04-07-2017  ,20:34:33   I  by: Amrit Varsha
            
            
            रत्न शब्द श्रेष्टता का द्योतक है जो विधिवत प्राण-प्रतिष्टित करके शुभ नक्षत्र और शुभ वार को धारण करने से निर्बल ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करके जीवन में सुख, शांति, धन, मान-सम्मान, आरोग्य, संतान, विवाह सुख, राज्य लाभ, भूत-प्रेत बाधा मुक्ति आदि लाने में सहायक होते हैं।  रत्नों के शुभ प्रभाव की प्राप्ति के लिए रत्न धारण करते समय मन में अश्रद्धा, अपवित्र और दूषित भावना नहीं होनी चाहिए।  रत्न धारण करते समय यह सुनिश्चित कर  चाहिए कि धारण किये जाने वाला रत्न दोषरहित हो अर्थात उसमें किसी तरह का कोई धब्बा, गड्ढा, छिद्र आदि न हो तथा वह टूटा या चटका हुआ न हो।
    अगर रत्न धारण करने के बाद जातक को किसी भी तरह की परेशानी, घबराहट, बेचैनी, दुर्घटना, चोरी, पारिवारिक कलह, व्यापार में घाटा, क्रोध अथवा मानसिक तनाव जैसे प्रतिकूल प्रभाव नजर आने लगें तो तत्काल धारण किये गए रत्न को उतार देना चाहिए।  चूंकि रत्न अधिक कीमती होते हैं इसलिए उनकी जगह उप-रत्न भी धारण किये जा सकते हैं। यहाँ हम रत्न धारण करने के सामान्य नियमों की जानकारी सुधी पाठकों को दे रहे हैं।
             
             
              
              
              
            मेष और वृश्चिक राशि से सम्बंधित स्वामी ग्रह मंगल का रत्न मूंगा है।  कम से कम सवा तीन रत्ती का मूंगा सोने, चांदी या तांबे की अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार के दिन मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा या धनिष्ठा नक्षत्र होने पर धारण किया जा सकता है।  मूंगा धारण करते समय 
ॐ क्रां क्रीं सः भौमाय नमः मंत्र का जप अवश्य करें।  एक बार धारण करने के बाद मूंगा तीन वर्ष तक अपना प्रभाव देता है।
वृष और तुला राशि के जातकों का स्वामी ग्रह शुक्र है।  इस गृह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए कम से कम एक रत्ती का हीरा सोने या चांदी की अंगूठी में शुक्रवार के दिन भरणी, पूर्वा, फाल्गुनी या पूर्वाषाढ़ नक्षत्र होने पर धारण किया जा सकता है। इस रत्न का मन्त्र है: 
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः  हीरा धारण करने के बाद सात वर्ष तक अपना असर दिखाता है।
मिथुन और कन्या राशि से सम्बंधित बुध ग्रह का रत्न पन्ना है।  कम से कम दो रत्ती का पन्ना सोने या चांदी की अंगूठी में बुधवार के दिन आश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र होने पर धारण किया जा सकता है। इस रत्न को धारण करते समय 
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मन्त्र का जप करना चाहिए।  धारण करने के  तीन वर्ष तक पन्ना अपना शुभ असर दिखाता है।
कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। इस गृह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए मोती धारण किया जाता है।कम से कम सवा दो रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में सोमवार के दिन पुष्य, रोहिणी, हस्त, श्रवण नक्षत्र होने पर 
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रयसे नमः का जप करके धारण करना चाहिए।  मोती का अपना प्रभाव दो वर्ष एक माह और सत्ताइस दिन तक रहता है।
सिंह राशि के जातकों को  स्वामी ग्रह सूर्य से सम्बंधित माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए। कम से कम सवा चार रत्ती का माणिक्य सोने, चांदी या तांबे की अंगूठी में जड़वाकर रविवार के दिन पुष्य, कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी या उत्तराषाढ़ नक्षत्र में  
ॐ हां हीं हौं सः सूर्याय नमः मन्त्र का जप करके धारण किया जा सकता है।  माणिक्य रत्न का असर धारण करने के बाद चार वर्ष तक रहता है। 
धनु और मीन राशि से सम्बंधित गुरु या वृहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज है। सोने की अंगूठी में कम से कम चार रत्ती का पुखराज गुरूवार के दिन पुष्य नक्षत्र में धारण करना शुभ फलदायी होता है। इस रत्न का मन्त्र है 
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः. यह रत्न धारण करने के बाद चार वर्ष तक प्रभावी रहता है।
मकर और कुम्भ राशि से सम्बन्धी ग्रह शनि का रत्न नीलम कम से कम चार रत्ती का सोने, रांगा तांबा या लोहे से बनी अंगूठी में सर्वसिद्धयोग होने पर धारण किया जा सकता है। इस रत्न को धारण करते समय 
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिवे नमः मन्त्र का जप करना चाहिए। नीलम धारण करने के बाद पांच वर्ष तक असरकारी रहता है।
राहु ग्रह की शांति के लिए कम से कम पांच रत्ती वजन के गोमेद रत्न को शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी में जड़वाकर  
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहुवे नमः मन्त्र का जप करके धारण करना चाहिए। यह रत्न धारण करने के बाद तीन वर्ष तक अपना असर दिखाता है। 
केतु ग्रह  के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए लहसुनिया रत्न धारण किया जाता है।  कम से कम पांच रत्ती का यह रत्न चांदी की अंगूठी में जड़वाकर बुधवार या शनिवार के दिन 
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः मन्त्र का जप करके धारण करना चाहिए।  यह रत्न धारण किये जाने के बाद तीन वर्ष तक अपना असर दिखाता है।
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