रमल ज्योतिष के बारे में जानते हैं आप? इसके अनुसार करेंगे देवों की आराधना तो तकदीर संवर जाएगी

रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में जातक यानी कि प्रश्नकर्ता रमल ज्योतिष के विद्वान से प्रश्न करें कि किस देवी-देवता कि आराधना करें। जिससे लाभ-शान्ति, पारिवारिक बढत, भौतिक सम्पदा, धन-धान्य में वृद्वि, शान्ति, सन्तान सुख, ख्यातिमय इत्यादि हो। इस वास्ते पासे जिसे अरबी भाषा में कुरा कहते हैं। किसी शुद्व पवित्र स्थान पर डलवाए जाते है। यह सारी प्रक्रिया विद्वान के समक्ष होती है। यदि जातक विद्धान के सम्मुख ना हो तो नवीन शोध विषय के अनुसार प्रश्न-फार्म के माध्यम से भी यह कार्य सम्पादित किया जा सकता है।

रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में जीवन के सारे के प्रश्नों के जबाव मय समाधान बिना कुण्डली के किए जाते हैं। रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में 12 राशियां, 9 ग्रह नक्षत्र होते हैं। रमल ज्योतिष शास्त्र 12 राशियॉ पर आधारित है साथ ही 12 राशियां सूर्योदय से आगामी दिन तक 12 राशियों का विधिवत् क्रमानुसार निर्माण करती है। उक्त 12 राशियों का सम्बन्ध मूल सात ग्रहोें से है।
प्रत्येक राशि का अपना उपासक अधिष्ठाता देवता होता है। रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र के प्रस्तार के लग्न स्थान में यदि शकल आकृति हुमरा, न की हो तो क्रमश मेष व वृश्चिक राशि से सम्बन्धित रखती है। जातक को हनुमान जी महाराज की आराधना से शान्ति लाभ, वैभव व दुश्मन परास्त होकर जातक को नमन करेगा या शान्ति होकर घर बैठे जावेगा अथवा निकटतम लोग उसे समझा कर शन्ति कर देगें।
यदि लग्न घर में शकल अतवे दाखिल व फरह शकल हो जो क्रमॉश वृष व तुला राशि को निर्धारित करती है। अतः रमल ज्योतिष शास्त्र के जातक को शक्ति देेव व लक्ष्मी मॉ की आराधना से लाभ प्राप्ति होता है । इनकी आराधना करने से शक्ति का शक्ति पात होता है। मॉ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। साथ ही ख्याति व धन की बरकत, वैभवमय जीवन यापन होगा।
रमल ज्योतिष शास्त्र के प्रस्तार के लग्न स्थान में शकल इज्जतमा व जमात हो जो की क्रमश-मिथुन व कन्या राशि की शकल से सम्बन्धित रखती है। अतः जातक को विष्णु भगवान की आराधना करना श्रेष्ठ कर रहेगा।
जिससे परिवार का लालन-पालन ,सन्तान सुख-शन्तिमय जीवन व्यतित का योग बनता है। यदि लग्न स्थान में शकल ब्याज, तरीक होतो चन्द्रमा ग्रह की मुनकिलब शकल कर्क राशि की शकल है। अतः जातक को शिव की आराधना करना चाहिए। जिससे जातक को अपने धनोपार्जन की वाबत् कार्य बात में विशेष स्थिायी तौर पर बढत, लाभ, ख्याति का योग्य स्थिायी तौर पर कायम रहें। साथ ही ईश्वर की अदृश्य शक्ति की कृपा बरावर बनीं रहेगी। क्योंकि यह संसार का पालन हार व उत्पत्ति का देवता है।
यदि लग्न स्थान में शकल कब्जुल दाखिल, नुस्तुल खारिज हो जो कि सिंह राशि से सम्बन्धित है। अतः सूर्य देव व शिव जी महाराज की आराधना करना हितकर है। जिससे अद्वितिय प्रकाशमान यानी कि ख्यातिमय लाभ प्राप्ति होगा।
यदि लग्न स्थान में शकल लहियान, नुस्तुल दाखिल शकल हो क्रमाश धनु, मींन राशि से सम्बन्धित है। अतः जातक को श्री राम, श्री कृष्ण, नारायण देव की आराधना करना चाहिए। जिससे सन्तान की कृपा परिवार में व सुख-शान्ति बरावर स्थिायी तौर पर कायम बनीं रहेगी। परिवार वंश वृद्धि नियमानुसार होती रहेगी।
यदि लग्न स्थान में शकल कब्जुल खारिज, अंकिश, उक्ला, अतवे खारिज शकल हो जो क्रमॉश कुम्भ व मकर राशि से सम्बन्धित है। अतः जातक को शिव जी की उपासना करना चाहिए। जिससे परिवार व कार्य मे स्थिायी तौर पर अन्तिम चरण तक वैभव-शान्ति हो सकें। यह सारी बातें को शुभ-अशुभ, बलावल, दृष्टि-कुदृष्टि को मुद्दे नजर रखकर किया जाता है।
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