भूलकर भी ना खरीदें ऐसे प्लॉट और भूमि, नहीं तो...

ज्योतिषीय ग्रंथ विश्वकर्म प्रकाश के त्रिकोणां शकटाकारं श्लोक के अनुसार मेढ़क, सर्प, चिमटा, सूअर, ऊंट, बकरी आदि के आकार वाले भूखण्ड में भूलकर भी अपना आशियाना नहीं बनाना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि जहां जगह-जगह बिल बने हुए हों, उबड़-खाबड़ व दीमक लगी हुई हो तो उस भूमि को खरीदने का मानस त्याग देना चाहिए।
नारद संहिता के अनुसार उत्तर-पूर्व की ओर ढलान वाली भूमि शुभदायक व लाभकारी स्वीकारी जाती है, लेकिन अन्य दिशाओं का ढलान वंश विनाशक व शारीरिक पीड़ादायक होता है।
भूखंड खरीदते समय वास्तुशास्त्रीय दृष्टि से भूमि का कोण आकार, ढलान आदि पर अवश्य विचार कर लेना चाहिए। शुद्ध और पवित्र जगह इंसान को उन्नति के रास्ते पर ले जाती वहीं अपवित्र जगह या आकार विनाश का कारण बनता है।
भूमि खरीदते समय ध्यान रखें मिट्टी का रंग चाहे जैसा भी हो, लेकिन वह चिकनी होनी चाहिए।
भूमि की मिट्टी यदि पीली या सफेद है तो वह शुभ मानी जाती है। यदि लाल है तो मध्यम और यदि काली है तो ऐसी भूमि पर घर या कार्यालय नहीं बनाना चाहिए।
यदि भूमि को खोदने पर मिटटी में हड्डी, फटा कपड़ा मिले तो उस भूमि पर रहना शुभ नहीं होता है। जिस भूमि पर पहले श्मशान आदि रहा हो तो वह भूमि अशुभ होती है। वह कितनी भी सस्ती क्यों ना मिले कभी नहीं क्रय करना चाहिए।
बड़े-बड़े पत्थरों वाली भूमि या फिर पर्वत की ढाल में पड़ने वाली भूमि निवास के लिए ठीक नहीं होती है। इसे खरीदने से बचना चाहिए।

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