देवशयनी एकादशी आज, इस दिन नहीं करें ये काम
            Astrology Articles   I   Posted on 12-07-2019  ,13:25:03   I  by: vijay
            
            
            हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 
चौबीस एकादशियाँ होती हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही 
देवशयनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार देवशयनी एकादशी या 
आषाढ़ी एकादशी का बड़ा महत्व है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 12 जुलाई 2019 को 
मनाई जा रही है। आषाढ़ महीने की शुक्ल एकादशी में पड़ने वाली देवशयनी 
एकादशी पर 4 महीने के लिये सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं जैसे विवाह, उपनयन 
संस्कार, यज्ञ, गोदान, गृहप्रवेश आदि पर रोक लगा दी जाती है। पौराणिक 
ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को पद्मनाभा भी कहते हैं।             
             
              
              
              
            
देवशयनी 
एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर 
चार महीने बाद उन्हें उठाया जाता है। इस बीच जो महीना पड़ता है उसे 
चातुर्मास कहा गया है। देवशयनी एकादशी की रात में जागरण करके भगवान विष्णु 
की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। यह एकादशी भगवान सूर्य के मिथुन 
राशि में प्रवेश करने पर प्रारम्भ होती है। देवशयनी एकादशी की 
व्रत विधि के बारे में आइए जानते है।
देवशयनी एकादशी व्रत विधि... - इस दिन सुबह उठ कर अपने घर की साफ-सफाई करें और नित्य कर्म से निवृत्त हो कर अपने घर में पवित्र जल का छिड़काव करें। 
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 उसके बाद अपने घर के पवित्र कोने में श्री हरि विष्णु की मूर्ति की 
स्थापना करें। ऐसा करने के बाद मूर्ती का षोड्शोपचार सहित पूजन करें। फिर 
विष्णु जी की मूर्ति को पीतांबर आदि से विभूषित करें।
- यह सब करने के बाद व्रत कथा सुनें और भगवान की आरती कर के प्रसाद बांटें। 
- आखिर में श्री विष्णु को सफेद चादर से ढंक कर नीचे उनके लिए गद्दा और तकिया लगाएं और उन्हें सोने के लिए छोड़ देना चाहिए। 
देवशयनी एकादशी पर नहीं करें ये काम...इस दिन बाल नहीं बनवाने चाहिए। नाखून मत काटें। ऐसा कोई कृत्य मत करें 
जिससे किसी को कष्ट हो। घर को गंदा मत रखें। पूरे घर को स्वच्छ होना चाहिए।
 घर के मंदिर की भी सफाई करें। 
जो वस्त्र आप धारण किये हैं वो गंदा
 मत हो। ये बहुत ही आवश्यक है कि जहां आप निवास करते हों वह स्थल और घर का 
मंदिर एकदम साफ सुथरा हो और वहां सुगंधित धूप बत्ती तथा घी का दीपक लगातार 
जलता रहे। सूखे पुष्प या सूखे पुष्पों की माला मंदिर में कदापि न हो।
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