राशि और लग्नि के अनुसार तय करें करियर, संवर जाएगा जीवन

आजकल कई युवा बेरोजगार हो रहे है एवं प्रायः देखने में आता है। कि उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाने से ऐसे व्यवसाय व्यक्ति अपना लेते हैं जिसमें नहीं तो उनकी रूचि होती है नहीं उनको सफलता मिल पाती है। कई लोग अपनी जन्म कुण्डली दिखाते है वो बताते है कि हमनें कई व्यवसाय परिवर्तन कर लिये परन्तु लाभ नहीं मिला देखने से पता चलता है कि जो व्यवसाय ग्रहों के अनुसार दिखा वो उन्हाेंने मार्गदर्शन नहीं मिल पाने पर किया अतएव ज्योतिष के द्वारा आपके ग्रहों के अनुसार किया गया व्यवसाय आपको लाभ दे सकता है। कई बार देखने में आता है कि बचपन से ही बालकों का रूज्ञान अपने व्यवसाय की ओर दिख जाता है परन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव में मार्ग नहीं मिलता और युवाओं में निराशा की भावना आ जाती है। ऐसे में राशि और लग्न के अनुसार करियर तय किया जाए तो जीवन संवर सकता है।

1. यदि सूर्य दशमेश का नंवाशेष हो तो औषधि, स्वर्ण, पेयपदार्थो का विक्रय, घासफूस, इत्रकार्य, ऊन उत्पादक, सलाहकार, मनोरंजन कार्य प्रस्तुति सींग, हड्डीसे बना सामान खेती बाडी, लेखन, छाता निर्माण, सुचनाओं के आदान प्रदान, (सट्टा, लाटरी के अंक, विशिष्ट गोपीनय सूचना देकर, पुलिस आदि का खबरिया बनकर) वादविवाद में मध्यस्तता, धन विनयोग, चिकित्सा, प्रेतकार्य यात्रा या विवाह (संगीत कार्य, टैंट हाऊस आदि) से जीविका कमाता है।

2. चंद्रमा यदि दशमेश का नंवाशेष हो तो पानी से उत्पन्न पदार्थ, कृषि कार्य, मिट्टी, मनोविनोद के कार्य, संशयवृति हिप्नोटिज्म, वस्त्र व्यवसाय राजकीय व्यक्ति के संपर्क से, वस्त्र पेंटिग, धन निवेष, खनिज पदार्थ, विदेश यात्रा से, क्राकरी आदि व्यवसाय में लाभ मिलेगा।

3. मंगल यदि नंवावेश हो तो धातु व्यवसाय दण्डाधिकारी, पुलिस, उपभोक्ता फोरम मजिस्ट्रेट, यातायात पुलिस, अग्नि कार्य, सैनिक, भट्टा उद्योग, चूना उद्योग, सर्कस, पर्वतारोहण, सुरक्षा गार्ड, मजदूरों की ठेकेदारी, पत्थर, ब्लड बैंक, होटल व्यवसाय, अग्नि शमन व्यवसाय, इंजीनियरिंग आदि से लाभ मिलता है।

4. यदि बुध नंवाशेष हो तो वेद शास्त्रों से, शिल्पकला, काव्य रचना, दृष्य श्रव्य काव्य का अभिनय, लेखन प्रकाशन, अध्यापन, ज्योतिष शास्त्र, दूत कार्य, सचिव कार्य, हास्य, मनोरंजन वैध चिकित्सा, जोडे बनाने का कार्य (विवाह कार्य, विवाह का पंजीकरण, पक्षियों का जोडा बनाना) वनस्पतियों से सम्बन्धित कार्य (नर्सरी बीज उत्पादन) धन प्रयोग, ब्याज बट्टा, पूँजी निवेश आदि कार्यों में सफलता मिलती है।

5. यदि गुरू नंवाशेष हो तो देवता की उपासना, अध्यापक, शास्त्र विषेषज्ञता नीति (राजनीति, अर्थनीति) लेखन, निवेश, वाहन उतम फर्नीचर, शयन सम्बन्धी उपकरण, ग्रहनिर्माण, मरम्मत, सजावट धार्मिक कार्य, न्याय के क्षेत्र में सफलता मिलती है।

6. यदि शुक्र नंवाशेष हो तो सोना चांदी माणिक, हीरों का व्यवसाय, हाथी घोडोें से सम्बन्धित कार्य, घुडसवारी, पशु चिकित्सा रेस, पशुओं का क्रय विक्रय, स्त्रीकार्य, यज्ञ करना, धन सम्बन्धी कार्य, सचिव मंत्री, विशिष्ट सेवा सेवक, सौदंर्य प्रसाधन दलाली, शेयर, सट्टा, फिल्मों से अभिनय कार्य आदि से लाभ मिलता है।

7. यदि शनि नंवाशेष हो तो शिल्पकला दस्तकारी, मरम्मत, टूट-फुट के कार्य लकडी का कार्य, विशेष स्थानापन्न अधिकारी, दासवृति, मोती अनाज का व्यवसाय, सीसा रांगा आदि कार्य ठेकेदारी, लोहे का कार्य दवाईयों से आजीविका चलती है।
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